मुंबई 26/11 आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित करके 10 अप्रैल को भारत लाया गया. उस पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर मुंबई में आतंकी हमलों की प्लानिंग करने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आरोप है. एनआईए समेत तमाम भारतीय एजेंसियों ने 17 वर्षों की लंबी कानूनी और कूटनीतिक लड़ाई के बाद राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित कराने में सफलता पाई है. अब उसे भारत की अदालत में यहां के कानूनों के तहत मुकदमे का सामना करना होगा.
इस बीच महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने तहव्वुर राणा के लिए कानूनी अधिकारों की मांग की है. चव्हाण ने कहा कि आमिर अजमल कसाब की तरह राणा को भी भारत की अदालत में निष्पक्ष सुनवाई का कानूनी अधिकार मिलना चाहिए. बता दें कि 26/11 हमले को अंजाम देने वाले 10 आतंकियों में से एकमात्र जीवित बचे आतंकी कसाब को दोषी ठहराए जाने के बाद 2012 में फांसी दे दी गई थी.
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कसाब की तरह राणा को भी मिले बचाव का अधिकार: चव्हाण
मीडिया से बात करते हुए पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, 'हम मांग करते हैं कि जिस तरह कसाब के लिए भारतीय कानूनों के तहत उचित सुनवाई हुई, उसी तरह तहव्वुर राणा को भी कोर्ट में अपना पक्ष रखने का अधिकार मिले. उसे वकील दिया जाए और उच्च न्यायालय के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय में भी अपील करने का अवसर मिले. राणा को कानूनी अधिकार दिए जाने चाहिए और कोर्ट जो भी सजा देगी, उसे स्वीकार करना होगा. हमारे देश में कंगारू कोर्ट काम नहीं करेगा.'
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, 'तहव्वुर राणा ने अपना अपराध कबूल नहीं किया है, जबकि डेविड कोलमैन हेडली ने 26 के आतंकी हमलों में अपनी भूमिका स्वीकार की है. इसलिए अमेरिकी सरकार ने हेडली को मुखबिर बनाने का फैसला किया. उन्होंने उसे अपनी ड्रग एंफोर्समेंट एजेंसी में शामिल किया है ताकि ड्रग तस्करी पर लगाम लगाई जा सके. अमेरिकी में वह पैरोल पर है. चूंकि इस समय पूरी दुनिया की नजर राणा के ट्रायल पर होगी, इसलिए कंगारू कोर्ट नहीं चलना चाहिए. भारत में एक स्थापित न्याय व्यवस्था है, जिसे दुनिया को दिखाना बेहद जरूरी है.'
कांग्रेस को रहती है आतंकियों के मानवाधिकार की चिंता: BJP
भाजपा ने पृथ्वीराज चव्हाण की इस टिप्पणी की निंदा की और कांग्रेस पर मुंबई हमलों के पीड़ितों की तुलना में आतंकवादियों के अधिकारों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, 'कांग्रेस को अफजल, याकूब और तहव्वुर के मानवाधिकारों की चिंता है, न कि 26/11 के पीड़ितों की. आतंकवाद के प्रति यह नरम रवैया ही असली वजह है कि आतंकवादी अब तक बच निकलते रहे हैं. लेकिन नए भारत में- मोदी सरकार आतंकवादियों को पाताल से भी वापस खींच लाती है.'
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वर्षों की कानूनी-कूटनीतिक लड़ाई के बाद प्रत्यर्पित हुआ राणा
पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा को 2008 के मुंबई आतंकी हमलों में उसकी भूमिका के लिए मुकदमा चलाने के लिए अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है. बता दें कि इन आतंकी हमलों में 166 लोगों की जान चली गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे. जान गंवाने वालों में कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे. एनआईए ने नेतृत्व में भारतीय लॉ-एंफोर्समेंट एजेंसियों की एक टीम तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल की शाम एक स्पेशल फ्लाइट से लेकर नई दिल्ली पहुंची. कोर्ट ने एनआईए को राणा की 18 दिन की हिरासत सौंपी है.
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