कोयला घोटाला: कांग्रेस के पूर्व सांसद को मिली 4 साल की सजा

छत्तीसगढ़ से जुड़े कोयला घोटाले में दिल्ली की अदालत का फैसला आया है. इसमें कांग्रेस के पूर्व सांसद, उनके बेटे को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है. इसी के साथ 15-15 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.

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पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा (फाइल फोटो) पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST

कोयला घोटाले से जुड़े छत्तीसगढ़ के मामले में सजा का ऐलान हो गया है. इसमें पूर्व सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे को 4 साल की सजा सुनाई गई है. छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक के आवंटन से जुड़े इस मामले में यह फैसला दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने सुनाया. पूर्व कोयला सचिव को भी सजा मिली है.

कोर्ट ने इस मामले में छह लोगों को दोषी करार दिया था. इसमें पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा, देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, दो वरिष्ठ अधिकारियों के एस क्रोफा और के सी सामरिया और मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को दोषी ठहराया था. इनपर IPC की धारा 120B, 420 और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत केस दर्ज था.

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विजय दर्डा, देवेंद्र दर्डा और मनोज कुमार जायसवाल को ऑर्डर के बाद कस्टडी में ले लिया गया था. वहीं एचसी गुप्ता, के एस क्रोफा और के सी सामरिया को पर्सनल बॉन्ड पर जमानत दे दी गई है. वे हाईकोर्ट में इसके खिलाफ अर्जी लगाएंगे.

राउज एवेन्यु कोर्ट ने मामले में कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा को 4 साल की सजा सुनाई है. सजा के साथ-साथ पूर्व सांसद पर 15 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है. उनके बेटे देवेंद्र दर्डा को भी 4 साल की सजा और 15 लाख का जुर्माना लगाया गया है.

इसके लावा मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को भी 4 साल की सजा और 15 लाख का फाइन लगा है. वहीं पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता को 3 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना लगाया गया है.

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CBI ने कहा था- मिले अधिकतम सजा

CBI ने मामले में दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी क्योंकि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले थे. CBI ने कहा था कि दोषी सेहत का हावला देकर कम सजा की मांग नहीं कर सकते हैं. दरअसल, दोषियों की तरफ से वकील ने कम से कम सजा देने की मांग की थी.

दोषियों के वकील ने कहा था कि मामले में ट्रायल पूरा करने में 9 साल लग गए, इन सालों में आरोपियों ने प्रताड़ना सही है, अधिकारी तो दिल्ली के रहने वाले हैं लेकिन अन्य लोगों को सुनवाई के लिए दूसरे राज्यों से आना पड़ता था.

क्या था कोयला घोटाला?

कोयला घोटाला 2012 में मनमोहन सरकार के वक्त सामने आया था. इसमें कोयले के खनन और बिक्री के वक्त भ्रष्टाचार और अनियंत्रितता का आरोप था. इसमें Coal India Limited का भी नाम आया था, इसके कई अधिकारी इसमें शामिल पाए गए थे. अधिकारियों ने कोयले के खनन और बिक्री के वक्त घूसखोरी की और कोयले के अवैध खनन और बिक्री में वे शामिल हो गए थे.

 

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