देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए जस्टिस एनवी रमणा की लाइन क्लियर!

अपने रिटायरमेंट से करीब महीना भर पहले चीफ जस्टिस अपने उत्तराधिकारी का नाम सीलबंद लिफाफे में सरकार को भेजते हैं. ये सिफारिश करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने जांच प्रक्रिया के बाद जस्टिस रमणा के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया.

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जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा को 48वां मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश (फाइल) जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा को 48वां मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश (फाइल)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST
  • 23 अप्रैल को रिटायर हो रहे जस्टिस एसए बोबडे
  • जस्टिस रमणा के खिलाफ सभी शिकायतें खारिज
  • आंध्र के CM रेड्डी ने दर्ज कराई थी ये शिकायतें

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने जस्टिस नातुलापति वेंकट रमणा को अपना उत्तराधिकारी और देश का 48वां मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश का पत्र सरकार को भेज दिया है. रमणा का कार्यकाल डेढ़ साल से भी कम समय का है और अगले साल 26 अगस्त तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर बने रहेंगे.

परंपरा के मुताबिक जस्टिस बोबडे ने विधि और न्याय मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है. उस चिट्ठी की एक प्रति परंपरा के मुताबिक जस्टिस रमणा को भी भेज दी गई है. अगले महीने 23 तारीख को जस्टिस बोबडे रिटायर हो रहे हैं.

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सभी शिकायतें खारिज
अपने रिटायरमेंट से करीब महीना भर पहले चीफ जस्टिस अपने उत्तराधिकारी का नाम सीलबंद लिफाफे में सरकार को भेजते हैं. ये सिफारिश करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने जांच प्रक्रिया के बाद जस्टिस रमणा के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया.

सीजेआई बोबडे ने जस्टिस रमणा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर भूमि खरीद में अपने परिजनों को अनैतिक ढंग से लाभ पहुंचाने, आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कामकाज में दखल देने, राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने जैसी शिकायत भी खारिज कर दी. आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने ये शिकायत दर्ज कराई थी.

अब शिकायत खारिज होने के बाद सिफारिश की चिट्ठी सरकार तक जाने के बाद जस्टिस रमणा के देश की सर्वोच्च अदालत का मुखिया नियुक्त होने का रास्ता साफ हो गया है.

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24 अप्रैल को लेंगे CJI की शपथ
सब कुछ परंपरा के मुताबिक सुनियोजित रहा तो जस्टिस रमणा 24 अप्रैल को देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति भवन में जस्टिस रमणा को मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ दिलाएंगे.

जगनमोहन रेड्डी ने पिछले साल पहले राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट के आधार पर आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट और फिर वहां सफलता न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायती पत्र भेजा था. शिकायत में ये भी कहा गया कि जस्टिस रमणा आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कामकाज में दखल दे रहे हैं.

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू के करीबी संबंधों की वजह से जस्टिस रमणा राज्य की जगनमोहन सरकार को अस्थिर करने की कोशिश भी कर रहे हैं. रेड्डी ने जस्टिस रमणा पर अपने न्याय क्षेत्र और आधिकारिक मर्यादा का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया. बहरहाल, जस्टिस रमणा के खिलाफ अब न तो कोई शिकायत है ना ही राह में कोई अन्य रोड़ा.

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले जज 
आंध्र प्रदेश में 27 अगस्त, 1957 को कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में किसान परिवार में पैदा हुए नातुलापति वेंकट रमणा ने विज्ञान और कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की. इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की.

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सुप्रीम कोर्ट में उनका कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक है. यानी वो दो साल से भी कम समय के लिए CJI के पद पर रहेंगे. वरिष्ठता के मामले में फिलहाल वो सुप्रीम कोर्ट में दूसरे स्थान पर हैं. जस्टिस एनवी रमणा सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के बाद सबसे सीनियर जज हैं. वह आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के पहले ऐसे जज होंगे जो सीजेआई बनेंगे. 

रमणा ने 10 फरवरी 1983 को वकील के रूप में न्यायिक करियर शुरू किया. 27 जून 2000 को वो आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए. उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया. न्यायाधीश रमणा को दो सितंबर 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया.

17 फरवरी 2014 को वो दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए. यहां वो कई चर्चित और अहम मुकदमों की सुनवाई करने वाली पीठ की अगुआई की या फिर पीठ के सदस्य रहे. इनमें इंटरनेट के जरिए सूचना पाने के अधिकार को मौलिक अधिकारों के दर्ज में शामिल करना अहम है. 24 अप्रैल को शपथ ग्रहण कर जस्टिस रमणा 26 अगस्त 2022 तक देश के मुख्य न्यायाधीश रहेंगे.

 

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