केंद्र का SC में हलफनामा- राज्यों से कहा, IT एक्ट की धारा 66 A के तहत न हो केस

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-66 ए के प्रावधान को रद्द करने के बाद इसके तहत मामले दर्ज किए जाने को बंद करना राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2021,
  • अपडेटेड 4:26 PM IST
  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
  • पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था को बताया राज्य का विषय

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 ए के प्रावधान रद्द किए जा चुके हैं. इसके बावजूद देशभर में इस कानून के तहत 1300 से अधिक नए मामले दर्ज किए गए हैं. इसे लेकर गैर सरकारी संगठन पीपुल्स यूनियन फॉर लिबर्टीज यानी पीयूसीएल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने पीयूसीएल की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था.

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर दिया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-66 ए के प्रावधान को रद्द करने के बाद इसके तहत मामले दर्ज किए जाने को बंद करना राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार का प्राथमिक कर्तव्य है.

केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि राज्य सरकारों के तहत कानून का पालन करने वाली एजेंसियों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आईटी एक्ट की धारा-66 ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए. हलफनामे में ये भी कहा गया है कि पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था भारत के संविधान के अनुसार राज्य के विषय हैं और अपराधों का पता लगाकर इसकी रोकथाम, जांच और अभियोजन के साथ ही पुलिस कर्मियों की क्षमता का निर्माण मुख्य रूप से राज्यों की जिम्मेदारी होती है.

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केंद्र सरकार ने यह हलफनामा सुप्रीम कोर्ट की ओर से पीयूसीएल की ओर से दायर याचिका के जवाब में दाखिल किया है जिसमें कहा गया है कि धारा-66 ए को निरस्त किए जाने के बावजूद इसके तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं. बता दें कि निरस्त किए जाने के समय इस कानून के तहत 11 राज्यों में 229 मामले लंबित थे. इसके बाद भी इन राज्यों में इस प्रावधान के तहत 1307 नए मुकदमे दर्ज किए गए.

 

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