केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जातीय जनगणना को मंजूरी दे दी है, लेकिन इसके लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, जाति जनगणना करने के कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति के फैसले को लागू करने की लंबी प्रक्रिया है. इससे दो नीतियों पर भी असर पड़ेगा.
सूत्रों ने बताया कि जनगणना दो हिस्सों में होती है. पहले घरों की सूची बनाना और गिनती होती है. सूत्रों ने ये भी कहा कि अभी तक ये तय नहीं हो पाया है कि जनगणना कब होगी. हालांकि, साल 2021 में जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड के कारण टाल दी गई थी.
जनगणना से जुड़े हैं दो महत्वपूर्ण फैसले
सूत्रों का कहना है कि जनगणना से दो महत्वपूर्ण फैसले जुड़े हुए हैं, जिसमें पहला महिला आरक्षण का है तो दूसरा परिसीमन से जुड़ा है.
इसके अलावा मौजूदा रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया मृत्युंजय कुमार नारायण का कार्यकाल अगस्त 2026 तक बढ़ा दिया गया है.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि PM मोदी सरकार ने देश भर में 'जाति जनगणना' करना ने का फैसला किया. वैष्णव ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों पर बोलते हुए कहा कि राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आगामी जनगणना अभ्यास में 'जाति गणना' को शामिल करने का फैसला किया है.
बुधवार को लिया सरकार ने फैसला
केंद्रीय मंत्री ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में कहा, 'राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है.' उन्होंने कहा कि इससे समाज आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त होगा और राष्ट्र भी प्रगति करेगा.
वैष्णव ने कहा, 'कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है. 2010 में दिवंगत डॉ मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था कि जाति जनगणना के मामले पर कैबिनेट में विचार किया जाना चाहिए. इस विषय पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह बनाया गया था. अधिकांश राजनीतिक दलों ने जाति जनगणना की सिफारिश की है. इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने SICC के नाम से एक सर्वेक्षण कराना उचित समझा.'
उन्होंने ये भी कहा कि यह बात सभी जानते हैं कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना का इस्तेमाल केवल राजनीतिक हथियार के रूप में किया है.
जितेंद्र बहादुर सिंह