कैश है तो ऐश है...नोटबंदी के 6 साल बाद 72 फीसदी बढ़ गया नकदी का चलन

30.88 लाख करोड़ रुपये का ये आंकड़ा 4 नवंबर, 2016 को जनता के पास मौजूद नकदी से 71.84 प्रतिशत अधिक है. पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था. इस फैसले का प्रमुख उद्देश्य भ्रष्टाचार, काले धन पर अंकुश लगाना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था. हालांकि, सरकार के इस कदम की कई विशेषज्ञों ने आलोचना भी थी.

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आरबीआई के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 तक 30.88 लाख करोड़ रुपये की नकदी चलन में है. आरबीआई के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 तक 30.88 लाख करोड़ रुपये की नकदी चलन में है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान किया गया था. नोटबंदी के 6 साल पूरे होने को हैं, इसके बावजूद देश में नकदी यानी कैश का खूब इस्तेमाल हो रहा है. देश में 21 Oct 2022 तक नकदी का इस्तेमाल 30.88 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. 

30.88 लाख करोड़ रुपये का ये आंकड़ा 4 नवंबर, 2016 को जनता के पास मौजूद नकदी से 71.84 प्रतिशत अधिक है. पीएम मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था. इस फैसले का प्रमुख उद्देश्य भ्रष्टाचार, काले धन पर अंकुश लगाना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था. हालांकि, सरकार के इस कदम की कई विशेषज्ञों ने आलोचना भी थी. 

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आरबीआई के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 21 अक्टूबर 2022 तक देश की जनता के पास नकदी बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये हो गई. जबकि 4 नवंबर, 2016 तक 17.7 लाख करोड़ रुपये चलन में थे. जनता के पास नकदी या मुद्रा का मतलब उन नोटों और सिक्कों से माना जाता है, जिनका इस्तेमाल लोग लेन-देन करने, व्यापार करने या सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए करते हैं. प्रचलन में मुद्रा से बैंकों में जमा पैसे को घटाकर ये आंकड़ा निकाला जाता है. 

डिजिटल भुगतान में वृद्धि के बावजूद चलन में नोटों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. माना जा रहा है कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों ने एहतियात के रूप में नकदी रखना बेहतर समझा. इसी वजह से चलन में बैंक नोट पिछले वित्त वर्ष के दौरान बढ़ गए. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान डेबिट-क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग और यूपीआई जैसे माध्यमों से डिजिटल भुगतान में भी बड़ी वृद्धि हुई है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में डिजिटल भुगतान धीरे धीरे बढ़ा है. डेटा के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में प्रचलन में मुद्रा भी समग्र आर्थिक विकास के अनुरूप बढ़ी है. समय के साथ जीडीपी के अनुपात में डिजिटल भुगतान में वृद्धि देश के जीडीपी अनुपात में मुद्रा में गिरावट का संकेत नहीं देती है. 
 

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