एक ऑयल टैंकर के कैप्टन अभिलाष रावत और उनके चालक दल को रेड सी रेस्क्यू मिशन में दिखाए गए उनके 'असाधारण साहस' के चलते 'समुद्र में असाधारण बहादुरी के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) 2024 पुरस्कार' से नवाजा गया. अभिलाष रावत और उनके दल को आईएमओ ने बुधवार को विजेता घोषित किया.
लेटर ऑफ कमनडेशन से किया गया सम्मानित
इस साल की शुरुआत में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों द्वारा कथित तौर पर दागी गई एक एंटी-शिप मिसाइल के उनके जहाज 'मार्लिन लुआंडा' पर गिरने से भीषण आग लग गई थी. अभिलाष और उनकी टीम ने आग से निपटने के लिए अग्निशमन और क्षति नियंत्रण प्रयासों के दौरान 'दृढ़ संकल्प और धैर्य' का प्रदर्शन किया था.
भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस विशाखापट्टनम के कैप्टन ब्रिजेश नांबियार और चालक दल को भी संकट के समय ऑयल टैंकर तक मदद पहुंचाने के लिए लेटर ऑफ कमनडेशन से सम्मानित किया गया है.
एंटी-शिप मिसाइल से हुआ था हमला
अवॉर्ड के साथ कहा गया, '26 जनवरी 2024 की शाम को, 84147 टन नेफ्था ले जाने वाला मार्लिन लुआंडा, स्वेज से इंचियोन जा रहा था. रास्ते में उस पर एक एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया गया. विस्फोट से एक कार्गो टैंक में भीषण आग लग गई. बड़े नुकसान के बावजूद कैप्टन अभिलाष रावत ने तत्काल आग बुझाने के प्रयास शुरू किए, चालक दल की सुरक्षा सुनिश्चित की और अफरा-तफरी के बीच जहाज की नौवहन क्षमता को बनाए रखा. स्टारबोर्ड लाइफबोट के नष्ट हो जाने के बाद, शेष चालक दल संभावित निकासी के लिए तैयार होकर पोर्ट लाइफबोट स्टेशन पर इकट्ठा हो गया.'
समुद्री जल से आग पर पाया काबू
अत्यधिक खतरे और हमलों की आशंका के बावजूद, रावत और उनके दल ने फिक्स्ड फोम मॉनिटर और पोर्टेबल होसेस का इस्तेमाल करके आग पर काबू पाने की कोशिश की. आईएमओ का कहना है कि आग फैल रही थी और उसने टैंक को भी प्रभावित किया लेकिन फोम की सप्लाई खत्म होने के बाद भी चालक दल समुद्री जल का इस्तेमाल करके इस पर काबू पाने का प्रयास करता रहा.
साढ़े चार घंटे बाद पहुंची मदद
साढ़े चार घंटे तक अपने दम पर आग को काबू करने की कोशिशों के बाद, मर्चेंट टैंकर एच्लीस, फ्रेंच फ्रिगेट एफएस अलसैस और अमेरिकी फ्रिगेट यूएसएस कार्नी मदद के लिए पहुंचे, जिन्होंने अतिरिक्त फायर फाइटिंग फोम और मदद प्रदान की. इसके बाद भारतीय युद्धपोत आईएनएस विशाखापट्टनम भी वहां पहुंचा.
मार्लिन लुआंडा क्रू के अथक प्रयासों के बावजूद आग कई बार भड़की. स्थिति गंभीर बन गई थी और विशेषज्ञों ने उन्हें जहाज को छोड़ने का सुझाव दिया. हालांकि, कैप्टन रावत और उनका दल डटे रहे. निर्णायक मोड़ तब आया जब भारतीय नौसेना के पेशेवर अग्निशामक जहाज पर चढ़े. अपने बेहतर उपकरणों के साथ वे आग के करीब पहुंचने में कामयाब रहे.
2 दिसंबर को लंदन में दिया जाएगा पुरस्कार
मार्लिन लुआंडा चालक दल के साथ मिलकर उनके प्रयासों से आग को बुझाया जा सका और पतवार में एक दरार को सफलतापूर्वक सील कर दिया गया. आईएमओ ने कहा, 'मिसाइल हमले के चौबीस घंटे बाद, मार्लिन लुआंडा नौसैनिक सुरक्षा के बीच वहां से रवाना हुआ.'
कैप्टन रावत और उनके दल को मार्शल आइलैंड्स द्वारा पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. उन्हें यह पुरस्कार मैरीटाइम सिक्योरिटी कमिटी के 109वें सेशन के दौरान 2 दिसंबर को लंदन स्थित आईएमओ मुख्यालय में आयोजित होने वाले वार्षिक समारोह में प्रदान किया जाएगा.
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