क्या पति तलाक पर पत्नी से एलिमनी मांग सकता है, कानून क्या है? ज्योति मौर्य के खिलाफ पति कोर्ट में

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्या को पति की गुजारा भत्ता संबंधी याचिका पर नोटिस जारी किया है. आलोक ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि उनकी पत्नी एक प्रशासनिक अधिकारी है, जबकि वह एक मामूली सरकारी नौकरी करते हैं और वह कई बीमारियों से भी पीड़ित हैं. इसीलिए वह गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं.

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ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य. (Photo @ITG) ज्योति मौर्य और आलोक मौर्य. (Photo @ITG)

aajtak.in

  • प्रयागराज,
  • 14 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

आलोक मौर्य ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रयागराज फैमिली कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने उनकी पत्नी ज्योति मौर्य से गुजारा भत्ता मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था. आलोक की गुजारा भत्ता संबंधी याचिका पर हाईकोर्ट ने पीसीएस अधिकारी ज्योति मौर्य को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले पर 8 अगस्त को सुनवाई होगी. इसी बीच सवाल उठ रहा है कि क्या पति तलाक पर पत्नी से एलिमनी मांग सकता है और इस बारे में कानून क्या कहता है.

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दरअसल, ज्योति मौर्य ने प्रयागराज के फैमिली कोर्ट में आलोक से तलाक के लिए याचिका दायर की है जो कि अभी लंबित है. इसी याचिका के लंबित रहने के दौरान आलोक ने हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 के तहत भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट में आवेदन दायर किया था, जिसे 4 जनवरी 2025 को कोर्ट ने खारिज कर दिया. फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष प्रथम अपील दायर की है.

क्या कहता है कानून

आलोक मौर्य ने हिंदू मैरिज एक्ट (हिंदू विवाह अधिनियम), 1955 की धारा 24 के तहत, तलाक या अन्य वैवाहिक विवादों के दौरान पति या पत्नी में से कोई भी पक्ष गुजारा भत्ता मांग सकता है, बशर्ते वह आर्थिक रूप से कमजोर हो या खुद का भरण-पोषण करने में असमर्थ हो. ये प्रावधान सभी पर लागू होता है, क्योंकि ये लिंग-निरपेक्ष प्रावधान है, यानी पति भी पत्नी से गुजारा भत्ता मांग सकता है. अगर वह ये साबित कर सके कि उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर है और पत्नी की आय पर्याप्त है.

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8 अगस्त को होगी सुनवाई

आलोक की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और डॉ. योगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 अगस्त का तारीख मुकर्रर की है.

हाईकोर्ट में दायर याचिका में आलोक ने कहा कि अलग रह रही उनकी पत्नी ज्योति मौर्य एक प्रशासनिक अधिकारी है, जबकि वह एक मामूली सरकारी नौकरी करते हैं और वह कई बीमारियों से भी पीड़ित हैं. इसीलिए वह उनसे (ज्योति मौर्य) गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं.

अंग्रेजी ट्रांसलेट जमा करना का निर्देश

आलोक ने अपनी अपील 77 दिनों की देरी से दायर की थी, जिसके लिए उन्होंने देरी को माफ करने की अर्जी भी दी है. साथ ही हाईकोर्ट ने आलोक को फैमिली कोर्ट के फैसले का अंग्रेजी ट्रांसलेट जमा करने का भी निर्देश दिया है.

2010 में हुई थी शादी

आपको बता दें कि साल 2009 में आलोक की नियुक्ति पंचायती राज विभाग में सफाई कर्मचारी के पद पर हुई थी. इसके बाद साल 2010 में उनकी शादी ज्योति मौर्य से हुई.

आलोक ने दावा किया है कि उन्होंने प्रयागराज में अपनी पत्नी की पढ़ाई के लिए हर संभव व्यवस्था की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि PSC परीक्षा पास करने के बाद, जब साल 2015 में उनकी SDM के रूप में नियुक्ति हुई तो ज्योति का उनके और उनके परिवार के प्रति व्यवहार (रवैया) बदल गया.

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