किस धर्म के हैं? पुजारी से मिल सकता है सर्टिफिकेट... जानें- CAA के नियम क्या कहते हैं

सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए ऐसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके होंगे.

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जितेंद्र बहादुर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देशभर में लागू हो चुका है. इस कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. इसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेज दिखाने होंगे. इन्हीं में से एक दस्तावेज लोकल रेपुटेड इंस्टीट्यूशन की ओर से जारी सर्टिफिकेट भी है. इसे लेकर अब तक कन्फ्यूजन बना हुआ है.

दरअसल, सीएए के तहत नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान लोकल रेपुटेड कम्युनिटी इंस्टीट्यूशन की ओर से जारी सर्टिफिकेट भी अपलोड करना होगा. 

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अब तक कहा जा रहा था कि ये सर्टिफिकेट किसी मंदिर का पुजारी भी जारी कर सकता है. लेकिन सीएए के जो नियम जारी किए गए हैं, उनमें कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है. नियमों में कहीं इसका जिक्र नहीं है कि स्थानीय पुजारी सर्टिफिकेट दे सकता है. नियमों के मुताबिक, लोकल रेपुटेड कम्युनिटी इंस्टीट्यूशन ही ये सर्टिफिकेट जारी कर सकता है.

दरअसल, लोकल रेपुटेड कम्युनिटी इंस्टीट्यूशन के सर्टिफिकेट से ही साबित होगा कि नागरिकता के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति किस धर्म का है.

सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए ऐसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आ चुके होंगे.

नागरिकता संशोधन कानून दिसंबर 2019 में संसद के दोनों सदनों से पास हो गया था. लेकिन इसके नियम गृह मंत्रालय ने इसी साल 11 मार्च को जारी किए हैं. इसके बाद ही सीएए कानून की शक्ल ले सका है.

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ऐसे मिलेगी भारतीय नागरिकता

इस कानून के तहत भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए indiancitizenshiponline.nic.in वेबसाइट पर जाना होगा. इसके अलावा CAA-2019 नाम की ऐप के जरिए भी अप्लाई किया जा सकता है. नागरिकता के लिए 29 दस्तावेजों की जरूरत होगी. इनमें से नौ दस्तावेजों से साबित होगा कि आप पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान के नागरिक हैं. जबकि, बाकी के 20 दस्तावेज इस बात का सबूत होंगे कि आपने किस तारीख को भारत में प्रवेश किया है.

ऑनलाइन आवेदन करने के बाद फॉर्म की जांच जिला स्तर की समिति करेगी. इसके बाद ये समिति आवेदक को ईमेल/एसएमएस के माध्यम से तारीख और समय के बारे में सूचित करेगी, जिस दिन उसे मूल दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से आना होगा. यदि दस्तावेज ठीक हैं, तो नामित अधिकारी ऑनलाइन प्रमाणित करेगा कि कागजात सत्यापित हैं. जिला समिति निष्ठा की शपथ भी अपलोड करेगी और आवेदन को इलेक्ट्रॉनिक रूप में सशक्त पैनल को भेजेगी. ये पैनल फिर मामले की जांच करेगा और आवेदन को मंजूरी या अस्वीकार करेगा. 

सबसे आखिरी में आवेदन को नागरिकता का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. जिन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, उन्हें भारत में प्रवेश की तारीख से भारतीय नागरिक माना जाएगा. 

क्या है CAA? 

नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया. बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया. और फिर चुनाव आ गए. 

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दोबारा चुनाव के बाद नई सरकार बनी, इसलिए दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में फिर पेश किया गया. इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2020 से ये कानून बन गया था. 

नागरिकता संशोधन कानून के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगा. कानून के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले आकर भारत में बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी.

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