बॉम्बे हाईकोर्ट ने चार्जशीट में गवाहों के बयान में कॉपी-पेस्ट कल्चर पर चिंता जताते हुए इसे खतरनाक ट्रेंड बताया है. अदालत ने 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में 12 आरोपियों को बरी किए जाने के दौरान सामने आया था.
अदालत ने कहा कि गवाहों और आरोपियों के बयान अधूरे और असत्य पाए गए हैं और इनके कुछ हिस्से एक-दूसरे से हूबहू मिलते हैं, जो कॉपी-पेस्ट कल्चर को दर्शाते हैं.
हाईकोर्ट ने मई और जून के मामलों में गवाहों के बयानों में कॉपी-पेस्ट पर संज्ञान लिया और महाराष्ट्र सरकार से इससे निपटने और इस संबंध में गाइडलाइन जारी करने को कहा.
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में हाईकोर्ट ने आरोपियों के इकबालिया बयान में समानता पर गंभीरता से गौर किया. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के बयान कई आधारों पर अधूरे हैं और सत्यता की कसौटी पर खरे नहीं उतरते.
मई में हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में पुलिस की ओर से अमल में लाए जा रहे एक और खतरनाक कल्चर पर संज्ञान लिया था, जिसमें गंभीर अपराधों में भी गवाहों के बयान कॉपी-पेस्ट है.
अदालत ने तब कहा था कि गवाहों के बयान में कॉपी पेस्ट के इस तरह के कई मामले सामने आए हैं. पिछले महीने हाईकोर्ट ने एक अन्य आपराधिक मामले में भी इसी तरह के ट्रेंड पर संज्ञान लिया था और राज्य सरकार को इससे निपटने का निर्देश दिया था.
2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चंदक की विशेष पीठ ने कहा कि कई आरोपियों के इकबालिया बयान इस तरह के थे, जिन्हें देखकर लग रहा था कि सवालों के जवाब कॉपी-पेस्ट किए गए हैं.
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