बॉम्बे हाईकोर्ट ने सनातन संस्था द्वारा दायर पांच मानहानि के मुकदमों को पोंडा, गोवा से सिविल जज, सीनियर डिवीजन, कोल्हापुर के पास ट्रांसफर करने का निर्देश दिया है. ये मुकदमे लेखक हामिद दाभोलकर, पत्रकार निखिल वागले और अन्य के खिलाफ तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और कॉमरेड गोविंद पानसरे की हत्याओं से संस्था को जोड़ने वाले कथित मानहानिकारक बयानों के लिए दायर किए गए थे, जिनमें ₹10 करोड़ तक के हर्जाने की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि गोवा में मुकदमे का सामना करना उनकी सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, और उन्होंने संस्था और उनके बीच वैचारिक दुश्मनी का हवाला दिया. उन्होंने तर्क दिया कि संस्था के मुख्यालय के इतने करीब मुकदमे की सुनवाई धमकी से मुक्त नहीं होगी.
उनके वकीलों ने ज़ोर देकर कोहा कि महाराष्ट्र और गोवा दोनों राज्यों में समान होने की वजह से, बॉम्बे हाई कोर्ट को सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के तहत ट्रांसफर करने का आदेश देने का अधिकार है.
कोर्ट ने क्या कहा?
संस्था ने 2017 और 2018 के बीच ये मुकदमे दायर किए थे. इसने याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि धमकी के आरोप 'अस्पष्ट और निराधार' हैं और आरोपपत्रों पर भरोसा करना गलत है क्योंकि वे 'मात्र जांच अधिकारियों की राय' हैं. इसने कहा कि कोई भी विश्वसनीय सामग्री याचिकाकर्ताओं की आशंकाओं को सही नहीं ठहराती और जुर्माने के साथ याचिकाओं को खारिज करने की मांग की.
हालांकि, जस्टिस एनजे जमादार ने कहा कि आशंकाओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. बेंच ने कहा, "आवेदकों को आशंका है कि अगर वे पोंडा में चल रहे मुकदमों की सुनवाई में शामिल होते हैं, तो उनका भी यही हाल हो सकता है. कुल मिलाकर, इस आशंका को अनुचित नहीं कहा जा सकता."
पूर्व में हुई हत्याओं का ज़िक्र करते हुए, जस्टिस ने कहा कि दुश्मनी की हद तक पहुंची दुश्मनी, संस्था और अन्य समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा प्रचारित विचारों का विरोध करने वाले चार लोगों की कथित हत्याएं... कुल मिलाकर ऐसी आशंकाओं को उचित और वास्तविक बनाती हैं."
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इस बात पर ज़ोर देते हुए कि न्याय “होते हुए दिखना” भी चाहिए, जस्टिस जमादार ने कहा, “न्याय का आदेश बेहतर ढंग से तब लागू होगा, जब मुकदमों को गोवा की अदालत से महाराष्ट्र राज्य की अदालत में ट्रांसफर कर दिया जाए.” हालांकि, उन्होंने साफ किया कि इससे गोवा की अदालत की क्षमता या राज्य की कानून-व्यवस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ता.
हामिद दाभोलकर स्वर्गीय डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के पुत्र हैं, जो अंधविश्वास उन्मूलन के लिए समर्पित संस्था, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक थे. दाभोलकर की 28 अगस्त 2013 को दो अज्ञात बंदूकधारियों ने हत्या कर दी थी. एक अन्य तर्कवादी, कॉमरेड गोविंद पानसरे को भी कोल्हापुर में गोली मार दी गई थी और 28 फरवरी 2015 को उनकी मौत हो गई थी. इन मौतों के बाद याचिकाकर्ताओं द्वारा कुछ भाषण दिए गए और कुछ मीडिया द्वारा प्रकाशित किए गए, जिन्हें संस्था ने मानहानिकारक पाया था.
कोर्ट ने लगाया छह सप्ताह की रोक
स्थानांतरण का निर्देश देने के बाद, संस्था ने अदालत से अपील की कि आदेश को लागू करने और संचालन पर छह सप्ताह की रोक लगाई जाए ताकि वह इस आदेश को चुनौती दे सके. अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और आदेश के संचालन पर छह सप्ताह की रोक लगा दी.
विद्या