पूर्व राज्यपाल, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक और हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे अश्विनी कुमार ने बुधवार को खुदकुशी कर ली है. आत्महत्या के पीछे जो भी वजह रही हो, लेकिन वह टीवी पर कार्टून बहुत पसंद करते थे. टेलीविजन पर आने वाला सीरियल 'टॉम एंड जेरी' उनका फेवरेट कार्टून कार्यक्रम था. वह अपने कामों की तुलना भी टॉम एंड जेरी के कलाकारों से करना पसंद करते थे.
सीबीआई के पूर्व प्रमुख अश्विनी कुमार शिमला स्थित अपने घर में फंदे से लटकते हुए पाए गए. हमेशा मुस्कराते रहने वाले अश्विनी कुमार अपने काम को लेकर हमेशा उत्साहित दिखते थे. लेकिन उनके जीवन का दुखक अंत हुआ. नागालैंड के राज्पाल रहे 69 साल के अश्विनी कुमार अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहते थे. उनके पूर्व सहयोगी और यहां तक कि मौजूदा अफसर भी उन्हें हमेशा मुस्कराते रहने वाले और मृदुभाषी शख्सियत के तौर पर याद करते हैं.
सुलझाया था आरुषि हत्याकांड का मामला
1973 बैच के आईपीएस अफसर अश्विनी कुमार 2008 में उस समय हैरान रह गए थे, जब उन्हें सीबीआई का प्रमुख नियुक्त किया गया था. हालांकि उस समय उनके दो सीनियर अफसर इस पद को पाने के लिए चक्कर लगा रहे थे, लेकिन अश्विनी कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी. यह वह समय था जब आरुषि हत्याकांड का मामला सुर्खियों में था और सीबीआई इस मामले को सुलझाने के लिए जूझ रही थी.
'टॉम एंड जेरी के गेम में हूं'
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक बार इंटरव्यू में अश्विनी कुमार ने कहा था, 'मुझे टॉम एंड जेरी का शो पसंद है. पुलिस बिल्ली और अपराधी चूहे की तरह होते हैं. इसीलिए टॉम कभी जेरी को बख्शता नहीं है.' उन्होंने कहा था, 'मैं टॉम एंड जेरी के गेम में हूं और मुझे अपना काम करना है.'
उस इंटरव्यू के दौरान अश्विनी कुमार ने नोएडा के डेंटिस्ट दंपति राजेश और नूपुर तलवार की बेटी आरुषि और उनके नौकर हेमराज की हत्याओं की जांच पर नाराजगी जताई थी. इन सनसनीखेज हत्याओं से चारों तरफ आक्रोश था. अश्विनी कुमार इस जांच को निर्णायक अंजाम तक ले गए और मामले को सुलझाने में कामयाब रहे.
इंटरव्यू में अश्विनी कुमार ने कहा था, 'यह केस (आरुषि हत्याकांड) मेरे लिए लिटमस टेस्ट था. मैं यह जानना चाहता था कि आरुषि को किसने मारा, उसके माता पिता ने उसकी हत्या की थी या फिर किसी और ने उसकी जान ली थी? इस मामले को लेकर मैं काफी बेचैन था.'
क्लोजर रिपोर्ट पर हुआ था एक्शन
अश्विनी कुमार के कार्यकाल के दौरान सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड को लेकर क्लोजर रिपोर्ट तैयार की थी. इसी क्लोजर रिपोर्ट पर बाद में आरुषि के माता-पिता की गिरफ्तारी हुई थी. यही रिपोर्ट तलवार दंपति के दोषसिद्धी का आधार बनी.
मेधावी और विशिष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक हासिल करने वाले अश्विनी कुमार ने सीबीआई में संयुक्त निदेशक (उत्तर) और अतिरिक्त निदेशक (भ्रष्टाचार-विरोधी) के रूप में भी काम किया था. इसके अलावा, उन्होंने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप में काम किया.
सीबीआई के पूर्व निदेशक पीसी शर्मा उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि हमेशा मुस्कराने वाले ईमानदारी व्यक्ति की मौत से हैरान हूं. 2013 में, तत्कालीन यूपीए सरकार ने उन्हें नागालैंड के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया. हालांकि एनडीए सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. वह पहले सीबीआई निदेशक थे जिन्हें राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया गया था.
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