गृह मंत्री अमित शाह ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वकील सम्मेलन 2023 के समापन सत्र में बोलते हुए आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करने और बदलने के लिए संसद में पेश किए गए हालिया विधेयकों का जिक्र किया. इस दौरान उन्होंने संसद से पारित महिला आरक्षण विधेयक का भी जिक्र किया.
IPC के तीनों कानूनों में बदलाव का किया जिक्र
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में तीन नए कानून आ रहे हैं. ये कानून लगभग 160 साल बाद पूरी तरह से नई दृष्टिकोण और नई व्यवस्था के साथ आ रहे हैं. नई इनिशिएटिव के साथ कानून के अनुकूल इकोसिस्टम बनाने के लिए भी 3 इनिशिएटिव सरकार की ओर से लिये गए हैं. पुराने कानूनों का मूल उद्देश्य अंग्रेजी शासन को मजबूत बनाना था. उनका उद्देश्य दंड देने का था, न्याय करने का नहीं. इन तीनों नए कानूनों का उद्देश्य दंड नहीं, न्याय देना है. यहां दंड न्याय देने का एक चरण है.
वकीलों से कहा, आप मसौदे पर दें सुधाव
मैंने बीसीआई प्रमुख को पत्र लिखा है और इस संबंध में वकील समुदाय से भी अपील की है कि आप सभी भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता, साक्ष्य संहिता के मसौदे को बारीकी से पढ़ें और अपने सुझाव दें. इन कानूनों के तहत हमने अदालती व्यवस्था को भी बदल दिया है. 7 तरह के मजिस्ट्रेट होते हैं, अब आपको सिर्फ 4 तरह के जज ही मिलेंगे. जिन मामलों में सज़ा तीन साल तक की है, उनमें अब संक्षिप्त सुनवाई संभव है. पहली सुनवाई के बाद पुलिस को सात दिन में अपना चालान कोर्ट में पेश करना होगा.
चार्जशीट दाखिल होने के बाद 90 दिन में करनी होगी जांच
आरोप पत्र दाखिल होने के बाद जांच 90 दिन से ज्यादा नहीं चल सकती. इसके साथ ही आरोप तय होने से पहले सिर्फ 60 दिन के भीतर ही डिस्चार्ज एप्लीकेशन दाखिल की जा सकेगी. फैसला सुरक्षित रखे जाने के 30 दिनों के भीतर सुनाया जाएगा. किसी सिविल सेवक के अभियोजन के मामलों में, हमने प्रावधान किया है कि यदि 120 दिनों के भीतर जांच की मंजूरी नहीं दी जाती है, तो इसे मंजूरी दी गई मानी जाएगी. सात साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक साइंस लैब का दौरा और रिपोर्ट अनिवार्य होगी. अमित शाह ने वकीलों से अदालतों और प्रौद्योगिकी की ओर बढ़ने का आग्रह किया.
नए कानूनों में भारत के मिट्टी की महक
भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर कॉलोनियल लॉ की छाप थी. तीनों नए कानूनों में कॉलोनियल छाप नहीं बल्कि भारत की मिट्टी की महक है. इन तीनों कानूनों के केंद्र बिंदु में नागरिकों के संवैधानिक व मानवाधिकारों के साथ-साथ उसकी स्वयं की रक्षा करना है. मैं देश भर के सारे वकीलों से एक अपील करना चाहता हूँ कि इन सारे कानूनों को आप डिटेल में देखें. आपके सुझाव बहुत मूल्यवान हैं. भारत सरकार के गृह सचिव को अपना सुझाव भेजिए और उन सुझावों पर कानून को अंतिम स्वरूप देने से पहले हम जरूर विचार करेंगे.
नए कानूनों में टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए ढ़ेर सारे परिवर्तन किए गए हैं. दस्तावेजों की परिभाषा में बहुत विस्तार किया है, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता दी है, डिजिटल डिवाइस पर उपलब्ध मैसेज को मान्यता दी है, और इसमें समन भी sms से ईमेल तक, हर प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक तरीके से वैध माने जाएंगे.
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