दिल्ली हाईकोर्ट ने सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के मामले पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. अदालत ने मामले की तत्काल सुनवाई न करने की पीछे कई तर्क दिए हैं.
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के मुद्दे को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार गेडेला की पीठ के सामने उठाया गया, जहां उन्होंने मामले पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि लंच के बाद बड़ी बेंच बैठ रही है. हालांकि, इस अर्जी पर जल्दी सुनवाई की संभावनाएं क्षीण हैं. क्योंकि बुधवार को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती होने के कारण राष्ट्रीय अवकाश है. इसलिए इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका में गुहार लगाई गई है कि सोनम वांगचुक और उनके साथ अन्य लोगों को भी नजरबंदी से रिहा किया जाए. साथ ही सिंघु बॉर्डर पर हिरासत में लिए गए कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस से जुड़े लोगों को रिहा किया जाए. सोनम वांगचुक के नेतृत्व में वरिष्ठ नागरिकों सहित व्यक्तियों के समूह को शांतिपूर्वक एकत्र होने की अनुमति दी जाए.
क्या हैं सोनम वांगचुक की मांग
दरअसल, लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की मांग को लेकर लद्दाख से राजधानी दिल्ली आने वाले एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक सहित लद्दाख के 120 लोगों पदयात्रा करते हुए दिल्ली आ रहे थे, जिन्हें पुलिस ने देर रात हिरासत में ले लिया.
सोमवार देर रात को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के बारे में जानकारी दी. उन्होंने एक्स पर एक वीडियो पोस्ट कर लिखा, "मुझे और मेरे 150 पदयात्रियों को दिल्ली सीमा पर 1000 से अधिक की पुलिस तैनात की गई है.. कई बुजुर्ग लोग और महिलाओं की उम्र 80 साल से ऊपर है और कई दर्जन लोग आर्मी के रिटायर अफसर हैं. आगे क्या होगा, हमें नहीं मालूम. हमें बस में ले जाया जा रहा है. हो सकता है कि आगे हमें डिटेन किया जाए या अरेस्ट कर लिया जाए. आगे हमें कहा ले जाएंगे ये नहीं पता. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में हम बापू की समाधि की तरफ एक सबसे शांतिपूर्ण मार्च कर रहे थे... हे राम!'
आपको बता दें कि सोनम वांगचुक 1 सितंबर से 150 लोगों के साथ लद्दाख से निकले थे. इस दौरान वह हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति, मनाली, कुल्लू, मंडी, चंडीगढ़ होते हुए दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे थे.
संजय शर्मा