कर्नाटक: कलबुर्गी की दरगाह में प्रवेश को लेकर बवाल, अब तक 167 गिरफ्तार

Karnataka News: हिजाब विवाद के बीच कर्नाटक में एक और धार्मिक विवाद सामने आया है. इस मामले में पुलिस ने 167 लोगों को गिरफ्तार किया है.

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कर्नाटक में पुलिस ने दिखाई सख्ती. (फाइल फोटो) कर्नाटक में पुलिस ने दिखाई सख्ती. (फाइल फोटो)

नोलान पिंटो

  • बेंगलुरु,
  • 04 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST
  • अलंद में पसरा सांप्रदायिक तनाव
  • दो पक्षों के बीच झड़प
  • हिजाब विवाद पहले से है जारी

कर्नाटक पुलिस ने कलबुर्गी जिले के अलंद में मंगलवार यानी एक मार्च को हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद पुलिस ने 167 लोगों को गिरफ्तार किया है. शहर में उस समय तनाव पसर गया था जब दो पक्षों के समूहों ने सोमवार को लाडले मशक दरगाह में प्रवेश करने का प्रयास किया था जबकि उस इलाके में धारा 144 लागू थी.

दरअसल, हिंदू संगठन नवंबर 2021 में हुई कथित अपवित्रता के चलते शिवलिंग को "शुद्ध" करने के लिए विशेष पूजा अर्चना करना चाहते थे. उसी दिन विशेष संप्रदाय ने भी एक ही परिसर में मौजूद दरगाह पर शबाब-ए-बारात कार्यक्रम करने की तैयारी की थी. इसके चलते पुलिस प्रशासन ने इलाके में 27 फरवरी से 3 मार्च तक धारा 144 लागू कर लोगों के एकसाथ जमा होने पर पाबंदी लगा दी थी. इसके बावजूद श्री राम सेना ने 1 मार्च को लाडले मशक दरगाह पर राघव चैतन्य शिवलिंग को शुद्ध करने का ऐलान कर दिया और फिर वहां दूसरे पक्षों के भी आ जाने से मौके पर तनाव के हालात पैदा हो गए.    

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पुलिस का कहना है कि बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री भगवंत खुबा ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ दरगाह परिसर में शिवलिंग की 'शुद्धि' करने के लिए एक बड़ी रैली का आयोजन किया था. इस दौरान उन्होंने प्रतिबंध के बावजूद धार्मिक स्थल के भीतर दाखिल होने की कोशिश की. 

पुलिस ने केवल 10 लोगों को दरगाह परिसर में शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति दी थी. लेकिन नेता नहीं माने और जोर देकर कहा कि सभी को अनुमति दी जाए और विरोध करना शुरू कर दिया.

साथ ही बड़ी संख्या में दूसरा धार्मिक समूह दरगाह के पास जमा हो गया और उसने बैरिकेड्स तोड़ने का प्रयास किया. दूसरा पक्ष जानना चाहता था कि उन्हें प्रवेश क्यों नहीं करने दिया गया? उन्होंने बीजेपी के 10 नेताओं को ऐसा करने की अनुमति देने के फैसले का विरोध किया. 

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इसके बाद पथराव हुआ जिसमें डीसी, एसपी और एसीपी के वाहन क्षतिग्रस्त हो गए. बाद में पुलिस के लगातार समझाने पर स्थिति पर काबू पाया गया. हर समुदाय से सिर्फ 10 लोगों को अनुमति देने पर सहमति बनी.

 

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