यूपीः मथुरा में मालगाड़ी के 25 डिब्बे पटरी से उतरे, एक हफ्ते में 7वीं बार हुई ऐसी घटना

आगरा रेलवे मंडल के डीआरएम तेज प्रताप अग्रवाल ने बताया कि इस हादसे में 25 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. कई ट्रेनों का रूट प्रभावित हुआ है. बता दें कि मालगाड़ी के बेपटरी होने की एक हफ्ते में ये 7वीं घटना है.

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मथुरा में बेपटरी हुई मालगाड़ी. मथुरा में बेपटरी हुई मालगाड़ी.

मिलन शर्मा / मदन गोपाल तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

उत्तर प्रदेश के मथुरा में बुधवार को एक मालगाड़ी पटरी से उतर गई. जानकारी के अनुसार, यह मालगाड़ी झांसी से सुंदरगढ़ जा रही थी. यह हादसा वृंदावन के पास हुआ. आगरा रेलवे मंडल के डीआरएम तेज प्रताप अग्रवाल ने बताया कि इस हादसे में 25 डिब्बे पटरी से उतर गए हैं. कई ट्रेनों का रूट प्रभावित हुआ है. बता दें कि मालगाड़ी के बेपटरी होने की एक हफ्ते में ये 7वीं घटना है. 

जानकारी के अनुसार, इस रेल हादसे में लाइन सप्लाई वाले खंभे भी टूट गए हैं. बताया जा रहा है कि रेलवे ट्रैक को ठीक करने में कम से कम 10-12 घंटे लगेंगे। हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे के अधिकारी मौके पर पहुंच गए। हालांकि, गनीमत रही कि इस हादसे में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.

पिछले 3 साल में 131 

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रेल हादसे हुए RTI के जरिए रेलवे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 7 जुलाई 2021 से 17 जून 2024 तक देश में 131 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं हैं, इनमें से 92 ट्रेन डिरेलमेंट की घटनाएं हैं. इन दुर्घटनाओं में 64 पैसेंजर ट्रेन और 28 मालगाड़ी शामिल हैं, पिछले तीन सालों में हर महीने 2 पैसेंजर ट्रेन और 1 मालगाड़ी डिरेल हुई है.

सिर्फ 2% रेल रूट पर कवच सिस्टम इंस्टॉल हुआ 

अब आम आदमी पूछने लगा है कि जिस टिकट पर हैप्पी जर्नी रेलवे लिखता है, वाकई वो जनता की जर्नी हैप्पी चाहता भी है या नहीं. क्योंकि अब तक सिर्फ 2% रेल रूट पर ही कवच सिस्टम इंस्टॉल हो पाया है, जिससे दावा होता है कि ट्रेन को टक्कर से बचाया जा सकता है. यानी भारतीय रेलवे नेटवर्क के 97% से ज्यादा हिस्से में टक्कर रोधी सिस्टम अभी लगा तक नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कितने साल तक रेल कवच के इंतजार में टक्कर आम आदमी सहता रहे?

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रेलवे में 1.5 लाख पद खाली 

रेलवे की एक हकीकत ये भी है कि आरटीआई के मुताबिक रेलवे में सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लगभग 1.5 लाख पद खाली पड़े हैं. RTI के मुताबिक रेलवे में ट्रैक मेंटेनर, पॉइंट्समैन, इलेक्ट्रिक सिग्नल मेंटेनर और सिग्नलिंग सुपरवाइजर जैसे पद खाली पड़े हुए हैं. अधूरी सुरक्षा तैयारी से ट्रैक पर दौड़ती ट्रेन पटरी से पलटती रहेंगी, तो फिर आम आदमी को सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?

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