महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 235 सीटों पर जीत हासिल कर इतिहास रच दिया है. महाराष्ट्र में महायुति की ऐतिहासिक जीत के पीछे कई वजहें बताई जा रही है, जिसमें सबसे ज्यादा बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश का योगदान है. शिव प्रकाश ने महाराष्ट्र से पहले उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अद्भुत पूर्व जीत दिलाई थी.
2017 में उत्तराखंड और 2023 में मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत मुश्किल मानी जा रही थी, फिर जिम्मेदारी सौंप गई शिव प्रकाश को और उन्होंने अपने माइक्रो मैनेजमेंट के प्लान को अमल में लाया. जिसके बाद इन राज्यों में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई तो वहीं, 2017 में उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी शिव प्रकाश की रणनीति ही बीजेपी को सत्ता में वापस लाई थी.
चुनावों के लिए कैसे तैयार की रणनीति
लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह का भाजपा के विरुद्ध महाराष्ट्र में माहौल बनाया था. उसके बाद जून महीने से नवंबर तक भाजपा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश महाराष्ट्र में बैठकर संगठन को सही किया और फिर बूथस्तर के कार्यकर्ताओं के महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी. जिससे सभी कार्यकर्ताओं में मैसेज गया की पार्टी उन पर भरोसा कर रही है और उनको अहम जिम्मेदारी दे रही है.
बीजेपी के जो कोर वोटर है जो लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान करने में ज्यादा एक्टिव नहीं था. उनको फिर से बीजेपी के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई.
बड़े नेताओं को दी जिम्मेदारी
शिव प्रकाश ने बूथों को चार कैटेगरी में बाटा A, B, C और D जिसमे से B और C बूथों पर ज्यादा कार्यकर्ता लगाकर बूथ जीतने के लिए सुनिश्चित किया. और उन्होंने सभी विधानसभा में नाराज लोग एवं प्रभावशाली लोगों को लिस्ट बनाकर संपर्क कर वहां भाजपा उम्मीदवार को मजबूत किया. सभी कार्यकर्ताओं की बात को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचकर उनके समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान कराया.
शिव प्रकाश मूल रूप से मुरादाबाद के रहने वाले हैं. बीजेपी में शामिल होने से पहले वे संघ के प्रचारक थे. इस दौरान उन्होंने माइक्रो मैनेजमेंट और बूथ मैनेजमेंट में अपना कौशल दिखाया. शिव राजनीतिक सूझबूझ और असंतुष्ट नेताओं या कार्यकर्ताओं को मानने में माहिर माने जाते हैं. महाराष्ट्र में जब टिकट बंटवारे के बाद जिन नेताओं में नाराजगी दिखाई दे रही थी, उन्होंने मनाने और उनकी शंकाओं को दूर करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई.
दीपेश त्रिपाठी