मुंबई की सेशन कोर्ट ने एक पुरुष वकील के ऑफिस में बिना अनुमति के महिला वकील के प्रवेश पर रोक लगाते हुए अस्थाई आदेश जारी किया है. गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए जज वीरेंद्र केदार ने कहा कि पुरुष वकील का अपना ऑफिस है और इसलिए किसी भी व्यक्ति को वादी के कार्यालय में उसकी अनुमति के बिना प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करने से वादी के काम में हस्तक्षेप होता है.
जज ने आगे कहा कि सभी चीजों का संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. स्वाभाविक रूप से यदि वादी की इस मांग को अस्वीकार कर दिया जाता है तो वादी को अपूरणीय क्षति होगी, जिसकी भरपाई पैसे के रूप में नहीं की जा सकती."
दरअसल, कोर्ट में एक वादी पुरुष वकील ने प्रस्ताव का नोटिस दिया था. इसमें मांग की गई थी कि बिना अनुमति के महिला वकील को ऑफिस में प्रवेश से रोकने के लिए आदेश दिया जाए. इसमें उसने कहा है कि यदि कोई बिना अनुमति ऑफिस में दाखिल होता है तो इससे उनके क्लाइंट का निजी और महत्वपूर्ण जारी चोरी होने की संभावना बनी रहती है.
बता दें कि वादी पुरुष वकील और प्रतिवादी महिला वकील एक-दूसरे के खिलाफ दायर कुछ गंभीर मामलों को लेकर आमने-सामने हैं. वादी ने कहा कि मार्च 2021 में जब वह और उसकी पत्नी कोविड-19 से संक्रमित हो गए और अस्पताल में भर्ती थे, तब प्रतिवादी ने उनसे फोन पर संपर्क किया और अपने व्यक्तिगत मामले में सहायता मांगी.
उन्होंने आगे बताया कि अप्रैल में वादी ने अदालत के बार रूम में प्रतिवादी से मुलाकात की. वादी ने दावा किया कि प्रतिवादी ने उनसे कहा कि वह उनसे प्यार करती हैं. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने वकील से काफी मना किया की और समझाया कि वह पहले से ही शादीशुदा हैं और उनके तीन बच्चे हैं. लेकिन उनके तमाम प्रयासों के बावजूद, प्रतिवादी उनके ऑफिस में घुस गई. इसी को लेकर उन्होंने कोर्ट में प्रस्ताव का नोटिस दिया था. वादी ने बताया कि वह पुलिस अधिकारियों के पास भी शिकायत लेकर पहुंचा था.
विद्या