महाराष्ट्र सरकार ने शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता को देखते हुए मुंबई महानगर क्षेत्र में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की संभावना का अध्ययन करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है. 22 जनवरी के सरकारी संकल्प (जीआर) के अनुसार, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली समिति अध्ययन करेगी और तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त, मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात), महानगर गैस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के परियोजना प्रबंधक, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के अध्यक्ष और संयुक्त परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन-1) सदस्य सचिव के रूप में अन्य पैनलिस्ट हैं.
जीआर के अनुसार, समिति को क्षेत्र के विशेषज्ञों को फेलो सदस्य के रूप में शामिल करने और उनसे प्रतिक्रिया प्राप्त करने की शक्ति दी गई है. मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में पड़ोसी ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिले के इलाके भी शामिल हैं.
दरअसल, 9 जनवरी को एक जनहित याचिका पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई शहर में यातायात की भीड़भाड़ और बढ़ते प्रदूषण तथा जीवन की गुणवत्ता, पर्यावरण और समग्र स्थिरता पर इसके नकारात्मक प्रभाव पर गंभीर चिंता व्यक्त की. हाईकोर्ट ने बताया था कि वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है और कहा था कि मुंबई में वाहनों की संख्या और प्रदूषण को नियंत्रित करने के मौजूदा उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं.
इसका संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने मुंबई महानगर क्षेत्र में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने और केवल सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देने की व्यवहार्यता पर अध्ययन करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई है.
हाईकोर्ट ने कहा था कि मुंबई की सड़कों पर जाम लगाने वाले वाहन शहर की खराब होती वायु गुणवत्ता में प्रमुख योगदानकर्ता हैं. इसने इस बात पर गहन अध्ययन किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया कि क्या डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना उचित या व्यवहार्य होगा.
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा गठित समिति तीन महीने के भीतर अपना अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. हाई कोर्ट ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि लकड़ी और कोयले का उपयोग करने वाली शहर की बेकरी अपनी इकाइयों को अधिकारियों द्वारा निर्धारित एक वर्ष की समय सीमा के बजाय छह महीने के भीतर गैस या अन्य हरित ईंधन पर चलाने के लिए परिवर्तित करें.
इसने कहा कि अब से कोयले या लकड़ी पर चलने वाली बेकरी या इसी तरह के व्यवसाय खोलने के लिए कोई नई मंजूरी नहीं दी जाएगी और नए लाइसेंस इस शर्त का पालन करने के बाद दिए जाएंगे कि वे केवल हरित ईंधन का उपयोग करें. हाई कोर्ट ने नागरिक निकाय और एमपीसीबी को निर्माण स्थलों पर प्रदूषण संकेतक लगाने का भी निर्देश दिया.
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