महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने करोड़ों रुपये के दो ठेकों में कथित भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दी है. यह ठेके राज्यभर में वैक्सीन के भंडारण के लिए उपयोग होने वाले आइस लाइन रेफ्रिजरेटर (ILR) और डीप फ्रीजर की खरीद से जुड़े हैं, जिनकी कुल लागत क्रमशः ₹33 करोड़ और ₹29 करोड़ बताई जा रही है.
शिकायतकर्ता ने स्वास्थ्य मंत्री और मंत्रालय को एक विस्तृत शिकायत भेजी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि 2024 में मंजूर उच्च गुणवत्ता के उपकरणों की जगह कम गुणवत्ता वाले उपकरण मंगवाए गए, लेकिन उनकी कीमतें उसी स्तर पर रखी गईं जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए स्वीकृत थीं. उदाहरण के तौर पर, जिस ILR की वास्तविक लागत ₹70,000 बताई गई है, उसे ₹3.05 लाख में खरीदा गया. वहीं, ₹65,000–₹70,000 के डीप फ्रीज़र को ₹2.45 लाख में खरीदा गया.
शिकायत के अनुसार, टेंडर प्रक्रिया को जानबूझकर दो कंपनियों के पक्ष में मोड़ा गया, अन्य योग्य आवेदकों को तकनीकी आधार पर बाहर कर दिया गया, जबकि चुनी गई कंपनियों के पास आयात लाइसेंस जैसे जरूरी दस्तावेज भी नहीं थे. इतना ही नहीं, दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे के टेंडर से खुद को पीछे हटाकर ‘एकमात्र बोलीदाता’ के रूप में खुद को प्रस्तुत किया और ठेका हासिल कर लिया.
शिकायत में यह भी आरोप है कि वास्तविक आपूर्ति से पहले ही करोड़ों रुपये की भुगतान प्रक्रिया शुरू कर दी गई, और कुछ स्थानों पर उसी दिन, एक ही समय पर उपकरणों की डिलीवरी दर्ज की गई, जो संदेहास्पद मानी जा रही है.
हालांकि, प्रारंभिक ऑडिट रिपोर्ट में DDHS अधिकारियों और कंपनियों को क्लीन चिट दी गई थी, लेकिन शिकायतकर्ता ने इसे अपूर्ण और पक्षपातपूर्ण बताया है. अब मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में जाने की भी संभावना है.
इस संबंध में महाराष्ट्र स्वास्थ्य मंत्री के OSD डॉ. नितिन देवमाने ने कहा, “एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दी गई है. समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी. अभी तक इन ठेकों के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है और रिपोर्ट आने तक कोई भुगतान नहीं किया जाएगा.”
राज्य के स्वास्थ्य सचिवालय के आदेश पर गठित जांच समिति फिलहाल जांच कर रही है, और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की संभावना जताई गई है.
दिव्येश सिंह