महाराष्ट्र राजनीति में मचे उथल-पुथल के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल की पहली बैठक की, लेकिन इसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार शामिल नहीं हुए. अजित पवार के साथ मिलकर बनाई गई सरकार की पहली बैठक में उपमुख्यमंत्री का शामिल नहीं होना खासा चर्चा में रहा और वह भी तब जब सरकार के अस्तित्व पर संकट बना हुआ है.
राज्य की वर्तमान राजनीति में सभी की नजर अजित पवार पर लगी हुई है, सोमवार को एक बार फिर वह सुर्खियों में रहे और इसी दिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधियों के साथ राज्य में सूखा, बाढ़ और आपदा प्रबंधन को लेकर बैठक की. हालांकि बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बगल बाली कुर्सी खाली रही, जो उपमुख्यमंत्री अजित पवार के लिए रखी गई थी.
लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस ने अपनी सरकार की पहली बैठक के बाद बारिश से प्रभावित किसानों के लिए 5380 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दे दी. पिछले दिनों महाराष्ट्र में बेमौसम भारी बारिश के कारण हजारों एकड़ फसलों को भारी नुकसान पहुंचा.
राज्य में सबसे ज्यादा नुकसान 21 अक्टूबर को हुई बारिश से हुआ, जिसमें मराठवाड़ा के सूखा प्रभावित जिलों में भी खेतों में जलभराव हो गया था.
पिछले हफ्ते शपथ लेने के बाद उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि उन्होंने राज्य के किसानों को उनकी समस्याओं से निजात दिलाने के लिए ही बीजेपी के साथ मिलकर स्थिर सरकार बनाने का फैसला किया है.
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने पिछले दिनों न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि बारिश के कारण 94,53,139 हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान पहुंचने का अनुमान है, जबकि प्रभावित किसानों का आंकड़ा 1 करोड़ से अधिक है.
क्या रुख बदलेंगे अजित पवार?
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले किसानों के मुद्दे पर डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ बैठक की. बारिश से प्रभावित किसानों को अतिरिक्त सहायता और सहायता के लिए विभिन्न उपायों पर मुख्यमंत्री ने अजित पवार के साथ चर्चा की.
हालांकि किसानों के मुद्दे को लेकर बुलाई गई इस अहम बैठक में अजित पवार की गैरमौजूदगी को लेकर राजनीतिक हलकों में जबर्दस्त चर्चा है. कई लोग यह कयास लगा रहे हैं कि अजित पवार एक बार फिर से अपना रुख बदल सकते हैं.
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