महाराष्ट्र: ऑफिसर ने पेश की हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल, बीमार ड्राइवर के बदले रखा रोजा

हिंदू-मुस्लिम एकता की एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, एक हिंदू अधिकारी अपने मुस्लिम ड्राइवर के बदले रमजान के पवित्र महीने में रोजा रख रहे हैं.

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संजय एन माली (फोटो-ANI) संजय एन माली (फोटो-ANI)

सना जैदी

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2019,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

महाराष्ट्र के बुलढाणा में हिंदू-मुस्लिम एकता की एक ऐसी मिसाल सामने आई है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. दरअसल, एक हिंदू अधिकारी अपने मुस्लिम ड्राइवर के बदले रमजान के पवित्र महीने में रोजा रख रहे हैं.

बुलढाणा के डिविजनल फॉरेस्‍ट ऑफिसर संजय एन माली अपने बीमार ड्राइवर जफर के बदले रोजा रख रहे हैं. जफर की इच्‍छा थी कि वह भी रोजा रखे, लेकिन बीमारी की वजह से वो रोजा नहीं रख पाया. समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक संजय माली ने 6 मई को जफर से इस बात की जानकारी ली कि वो रोजा रखेंगे या नहीं. जफर ने बताया कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है और ड्यूटी के साथ रोजा नहीं रख पाएंगे. इस परअधिकारी ने जफर के बदले रोजा रखने का फैसला किया.

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संजय एन माली ने बताया कि वो 6 मई से ही रोजा रख रहे हैं, सुबह 4 बजे उठकर कुछ खाते हैं और फिर शाम 7 बजे रोजा खोलते हैं. आपसी सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए माली ने कहा कि सभी को धार्मिक सौहार्द और सद्भावना फैलाने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा, हर धर्म कुछ अच्छा सिखाता है. उन्होंने कहा कि इंसान को पहले मानवता उसके बाद धर्म देखना चाहिए. माली ने कहा कि रोजा रखने के बाद मैं खुद को बहुत ताज़ा महसूस कर रहा हूं.

बता दें कि रोजा रखने के लिए सूरज निकलने से पहले भोजन किया जाता है, जिसे सेहरी कहते हैं. शाम को सूरज डूबने के बाद खाया जाता है, जिसे इफ्तार कहते हैं. रमजान के एक महीने के रोजे पूरे होने के बाद ईद मनाई जाती है. इस साल ईद जून के पहले हफ्ते में मनाई जाएगी.

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