महाराष्ट्र में महायुति की नई सरकार बनने जा रही है. बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी ने सीएम पद पर दावा ठोका है. फॉर्मूला तय हुआ है कि दो डिप्टी सीएम शिवसेना और एनसीपी से होंगे. राज्य में अभी शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं. जाहिर है कि सीएम बीजेपी का होगा तो शिंदे की कुर्सी चली जाएगी और अगर वो डिप्टी सीएम के लिए राजी होते हैं तो सीएम बनने के बाद डिप्टी सीएम बनने वाले क्लब में शामिल हो जाएंगे.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे पहली बार ऐसे किसी क्लब का हिस्सा बनेंगे. इससे पहले महायुति के बड़े नेता देवेंद्र फडणवीस भी इस क्लब में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं. फडणवीस 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं. दूसरी बार उन्होंने अक्टूबर 2019 में सीएम पद की शपथ ली थी. उस समय अजित पवार ने बीजेपी से हाथ मिलाया था. हालांकि, 3 दिन बाद अजित ने साथ छोड़ा तो फडणवीस को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था. उसके बाद फडणवीस जुलाई 2022 से एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम हैं. यानी फडणवीस ढाई साल से उपमुख्यमंत्री की कमान संभाल रहे हैं.
कैसे बने डिप्टी सीएम बने थे फडणवीस
2019 के चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. लेकिन अविभाजित शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठाई. तनाव बढ़ा तो अलायंस टूट गया. उद्धव ने MVA के सहयोग से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने. 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में बगावत की और बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई. पार्टी के रणनीतिक कारणों से फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया.
मेघालय में मुकुल संगमा पहले डिप्टी, फिर सीएम बने
मेघालय में तृणमूल कांग्रेस के नेता डॉ. मुकुल एम. संगमा के नाम भी यह अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है. मुकुल संगमा 2010 से 2018 तक मेघालय के 11वें मुख्यमंत्री रहे. उससे पहले वे 2009 से 2010, 2007 से 2008 और 2005 में सात महीने तक मेघालय के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी रहे. वे नवंबर 2021 में टीएमसी में शामिल हो गए थे. इससे पहले संगमा लंबे समय तक कांग्रेस में रहे. वर्तमान में मुकुल संगमा मेघालय विधानसभा में नेता विपक्ष हैं.
तमिलनाडु में भी राजनीतिक गठबंधन और सत्ता-साझेदारी के कारण नए समीकरण बने और पनीरसेल्वम का कार्यकाल उलटफेर वाला रहा है. उन्हें तीन बार कुल तीन साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालनी पड़ी. बाद में वे 4 साल तक उप मुख्यमंत्री भी रहे. साल 2001 में करुणानिधि की गिरफ्तारी के बाद ओ. पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे 162 दिन तक पद पर रहे. उसके बाद जयललिता की अयोग्यता के दौरान भी ओ. पनीरसेल्वम 2014 से 2015 तक (237 दिन) सीएम रहे. जयललिता के निधन के बाद एक बार फिर पनीरसेल्वम को जिम्मेदारी मिली और वे 2016 से 2017 (72 दिन) तक सीएम रहे. बाद में जब पलानीस्वामी सरकार बनी तो पनीरसेल्वम 2017 से 2021 तक डिप्टी सीएम रहे.
क्यों किसी CM को बनना पड़ता है Dy CM?
- भारतीय राजनीति में मुख्यमंत्री के बाद उपमुख्यमंत्री बनने के हालात असामान्य होते हैं और आमतौर पर विशेष राजनीतिक, व्यक्तिगत या रणनीतिक कारणों से ऐसे बदलाव देखने को मिलते रहे हैं. जब किसी राज्य में गठबंधन सरकार बनती है तो पार्टियों के बीच सत्ता साझा करने का समझौता होता है. कभी-कभी मुख्यमंत्री रह चुका कोई वरिष्ठ नेता पार्टी या गठबंधन की मजबूरी के चलते उपमुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हो जाता है. फडणवीस इसका उदाहरण हैं.
- कभी-कभी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व निर्णय लेता है कि मुख्यमंत्री रह चुके किसी वरिष्ठ नेता को संगठन की मजबूती या पार्टी में संतुलन बनाए रखने के लिए उपमुख्यमंत्री के पद पर भेजा जाए. तमिलनाडु में ओ. पनीरसेल्वम को AIADMK में गुटबाजी खत्म करने के लिए डिप्टी सीएम बनाया गया था.
- कुछ नेता ऐसे भी होते हैं, जिन्हें उपमुख्यमंत्री बनाकर पार्टी यह संदेश देती है कि वे अभी भी महत्वपूर्ण हैं और सरकार में उनकी भूमिका बनी हुई है. महाराष्ट्र में अजित पवार को बार-बार उपमुख्यमंत्री बनाकर एनसीपी ने उन्हें एक प्रमुख नेता के रूप में पेश किया है.
- इसके अलावा, यदि पार्टी में दो गुट हों और एक नेता को मुख्यमंत्री पद नहीं मिल पाता है तो उसे उपमुख्यमंत्री बनाकर संतुलन बनाया जाता है. कई राज्यों में ऐसा देखा गया है कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए वरिष्ठ नेताओं को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
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