अब महाराष्ट्र में भाषा पर विवाद! राज ठाकरे बोले - 'हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं'

महाराष्ट्र सरकार के निर्णय से राज्य में सियासी बहस छिड़ गई है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के निर्णय का जोरदार विरोध हो रहा है. विपक्ष इसे मराठी पहचान और भाषाई विविधता पर हमला मानकर सरकार की आलोचना कर रहा है.

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स्कूल (सांकेतिक तस्वीर) स्कूल (सांकेतिक तस्वीर)

ऋत्विक भालेकर

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 7:23 PM IST

महाराष्ट्र में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है. राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने का फैसला किया है. इस नीति के तहत वर्ष 2025-26 से राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा. इस फैसले से राज्य में राजनीतिक तापमान बढ़ गया है, क्योंकि विपक्षी दल और क्षेत्रीय नेता इस कदम को मराठी पहचान पर आघात मान रहे हैं. राज ठाकरे का कहना है, "हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं. अगर हिंदी थोपने की कोशिश रहोगी तो टकराव तय है."

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मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार इस कदम को शिक्षा में व्यापक सुधार का हिस्सा बता रही है. सीएम फडणवीस का कहना है कि यह फैसले नए नहीं है, बल्कि NEP 2020 के इम्पलीमेंटेशन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि मराठी पहले से ही राज्य में अनिवार्य है और हिंदी को जोड़ने का मकसद स्टूडेंट्स के लिए देश को जोड़ने वाली एक भाषा सिखाना है. उन्होंने इस नीति के तहत भाषाई कौशल और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने की बात कही.

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मराठी भाषी मंत्री ने भी सरकार के फैसले का समर्थन किया

शिवसेना के शिंदे गुट से मराठी भाषी मंत्री उदय सामंत ने भी इस कदम का समर्थन किया है. उन्होंने शिक्षा मंत्री दादा भूसे की सराहना की और CBSE मॉडल के मुताबित पाठ्यक्रम तैयार करने की बात कही है. उदय सामंत का कहना है कि मराठी का महत्व बना रहेगा और यह कदम शिक्षा की क्वालिटी को मजबूत करेगा.

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राज ठाकर ने लगाया हिंदी भाषा जबरन थोपने का आरोप

इस फैसले के विरोध में विपक्षी दल और क्षेत्रीय संगठन खड़े हो गए हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने इस फैसले को हिंदी थोपने की कोशिश बताया. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी राष्ट्रीय नहीं, बल्कि राज्य भाषा है और इस तरह की नीति को महाराष्ट्र में लागू नहीं किया जा सकता. राड ठाकरे ने एक्स पोस्ट में कहा, "मराठी और हर भाषा का सम्मान होना चाहिए, न कि इसे जबरन थोपा जाए."  उनका कहना है, ""हम हिंदू हैं, हिंदी नहीं! अगर आप महाराष्ट्र को हिंदी के रूप में चित्रित करने की कोशिश करेंगे, तो महाराष्ट्र में संघर्ष होना तय है."

कांग्रेस ने भी हिंदी को अनिवार्य करने का विरोध किया

कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी इस नीति की आलोचना की. उन्होंने केंद्रीय और राज्य सरकारों पर शैक्षणिक अधिकारों और मराठी की पहचान को कमजोर करने का आरोप लगाया. वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि NEP का इस्तेमाल हिंदी को महाराष्ट्र में थोपने के लिए किया जा रहा है, जो मराठी के खिलाफ एक हमला है.

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मसलन, महाराष्ट्र सरकार पर इन चिंताओं का समाधान करने का दबाव बढ़ रहा है. विपक्ष ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है, भाषा की विविधता और मराठी की प्रधानता का सम्मान करने की बात की है. देखना होगा कि क्या यह मुद्दा क्षेत्रीय दलों के लिए रैली का केंद्र बनता है या इसे राष्ट्रीय शिक्षा लक्ष्यों की दिशा में एक सहयोगात्मक कदम के रूप में देखा जाता है.

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