Tanaz Mohammed: बंधनों को तोड़ मुस्लिम लड़कियों को फुटबॉल चैम्पियन बना रहीं... जानें कैसे रोल मॉडल बन गईं तनाज मोहम्मद

मुंबई की तनाज मोहम्मद, जिन्होंने खेल से नाता 7 साल की उम्र में ही जोड़ लिया था... आज वो करीब 500 से ज्यादा लड़कियों को फुटबॉल सिखा रही हैं. तनाज ने मुस्लिम समुदाय की लड़कियों और सुख-सुविधाओं से वंचित बच्चे, जिनकी फुटबॉल में रुचि है उनको अपने साथ जोड़ा और उनमें जागरूकता पैदा की. मिलिए 29 साल की प्रीमियर स्किल्स कम्युनिटी की कोच तनाज हसन मोहम्मद से, जिन्होंने मिसाल कायम की है...

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Mumbai based football coach Tanaz Mohammed Mumbai based football coach Tanaz Mohammed

शैली आचार्य

  • मुंबई,
  • 25 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:54 PM IST

Tanaz Mohammed- Football for women's empowerment: अगर हौसले बुलंद हों तो आप क्या नहीं कर सकते. अपने संघर्ष और जज्बे से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है. आपने बहुत लोगों को अपने सपने पूरा करते हुए सुना होगा, लेकिन मुंबई की तनाज मोहम्मद दूसरों के सपने पूरे करने में जुटी हुई हैं. वह खुद हौसले का पर्याय बन चुकी हैं.

नाम तनाज मोहम्मद, उम्र 29 साल और शहर मुंबई. परिचय छोटा लग सकता है, लेकिन कलेवर बहुत बड़ा है. तनाज ने 7 साल की उम्र में खिलाड़ी बनने का सपना देखा था. तनाज आज कई ऐसे बच्चों के सपने पूरे करने का जरिया बन गई हैं जो कभी सुविधाओं के अभाव तो कभी पाबंदियों की वजह अपने सपनों से किनारा कर चुके थे. 

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खुद को एक उदाहरण के रूप में किया पेश

प्रीमियर स्किल्स कम्युनिटी की कोच तनाज ने लगभग 500 लड़कियों को फुटबॉल की कोचिंग दी है, जिसमें स्पेशल चिल्ड्रेन (विशेष जरूरत वाले बच्चे) भी शामिल हैं. न केवल इतना, बल्कि खुद को एक उदाहरण के रूप में पेश करते हुए तनाज ने मुस्लिम समुदाय की लड़कियां, जिनकी फुटबॉल में रुचि रही, उनको अपने साथ जोड़ा और उनमें जागरूकता लाई. तनाज का मानना है कि किसी खास चीज को आजमाने के लिए लोगों को खुद पर गर्व महसूस कराना जरूरी है. ट्रेनिंग सेशन के दौरान उनका मुख्य उद्देश्य खिलाड़ियों को रचनात्मक फीडबैक के साथ प्रेरित करना है, ना कि नकारात्मक टिप्पणियों के साथ उन्हें नीचे धकेलना. 

बिना हिजाब और शॉर्ट्स में खेलना हिचक का कारण

तनाज लड़कियों को साल 2017 से फुटबॉल सिखाने का काम कर रही हैं. तनाज अब तक मुस्लिम समुदाय की करीब 500 लड़कियों को कोचिंग दे चुकी हैं. जिन महिलाओं को हमेशा ये याद दिलाया जाता रहा है कि महिलाएं खेलों में शामिल नहीं हो सकतीं, तनाज को इन महिलाओं के खुद से बनाए प्रतिबंध को तोड़ने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.

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'आजतक' के साथ खास बातचीत में तनाज मोहम्मद कहती हैं, 'मैंने खुद को एक उदाहरण के रूप में इस्तेमाल किया. महिलाओं में जागरूकता लाई, उन्हें आगे लाया, इनमें 4 साल की उम्र की लड़कियों से लेकर 50 साल तक की महिलाएं भी शामिल हैं. वे सभी सिर्फ सीखना चाहती थीं और फिट रहना चाहती थीं तो उन्हें एक्सरसाइज भी करवाई जाती है. पहले उनके मन में हिचक थी कि वे शॉर्ट्स पहन कर और बिना हिजाब कैसे खेलेंगी, लेकिन फिर उन्हें समझाया गया कि यह जरूरी नहीं कि शॉर्ट्स पहन कर ही फुटबॉल खेली जाए. चाहे सलवार हो, हिजाब हो, जर्सी हो, टी-शर्ट हो या कुछ और, उनके लिए खेल मायने रखता है और इस तरह कई लड़कियां इसका हिस्सा बनीं.'

Coach Tanaz Mohammed training muslim women

तनाज को झेलनी पड़ीं आलोचनाएं

फुटबॉल कोच बनना तनाज के लिए चुनौतियों से भरा था. कुछ लोगों ने गर्मजोशी से उनकी इस पहल का स्वागत किया. लेकिन दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी थे, जो उनके खिलाफ अपनी शंकाओं और आलोचनाओं को लेकर काफी मुखर थे. तनाज ने कहा, 'मुझे लगता है कि मेरी सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि लड़कियों को कैसे जागरूक किया जाए, खास कर जो मुंबई के सबअर्ब और मुस्लिम समुदाय से आती हैं. सब कुछ आसानी से नहीं मिलता, और मुझे पता था कि मुझे अपनी पहचान बनाने के लिए आगे बढ़ते रहना होगा और कड़ी मेहनत करनी होगी. मुझे पता था कि लोग मुझे और मेरी क्षमता को आंकेंगे, चाहे कुछ भी हो, लेकिन मुझे अपना ध्यान अपने लक्ष्य पर रखना था.'

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Football coach Tanaz with children

लड़कियों के माता-पिता को भी करना पड़ा जागरूक

तनाज मोहम्मद कहती हैं, 'मेरा खेल का सफर 2016 में शुरू हुआ, मेरा विजन क्लियर था, मैं बच्चों को प्रशिक्षित करना चाहती थी, इसलिए मैं कोचिंग देने लगी. मैं मुंबई सिटी एफसी में ग्रासरूट डेवलपमेंट ऑफिसर के तौर पर कार्यरत हूं. मैंने एक समुदाय की 500-600 लड़कियों और महिलाओं को उनकी खुद से बनाई हुई रोक-टोक से छुटकारा दिलाने में मदद की. मैंने उन्हें और उनके माता-पिता को यह एहसास कराया कि फुटबॉल किसी भी तरह के कपड़ों में खेला जा सकता है जिसमें हिजाब पहनना भी शामिल है. खेलने के लिए आपको बस अपने पैरों की जरूरत है. जरूरी नहीं की फुटबॉल खेलने के लिए शॉर्ट ही पहने जाएं. मैं उन बच्चों के साथ भी काम करती हूं जो आम सुविधाओं से वंचित हैं. मैं उन्हें फुटबॉल और हॉकी सिखाती हूं.' 

... घर-घर जाकर लड़कियों को किया प्रेरित

फुटबॉल कोच तनाज ने आगे कहा, 'मुंबई के छोटे कस्बों में भी कई ऐसी मुस्लिम लड़कियां हैं, जिन्हें फुटबॉल खेलना पसंद है... लेकिन वो घर से निकलने में हिचकती थीं फिर मैंने घर-घर जाकर उन्हें इसको लेकर प्रेरित किया, उनके घर वालों को मनाया. लड़कियों के लिए हर तरफ बाधाएं हैं, क्योंकि उन्हें बचपन से ही ये सब बताया जाता रहा है. एक मुस्लिम समुदाय से होने के नाते, मुझे पता है कि लड़कियों को यह सुनिश्चित करने का महत्व है कि वे हिजाब पहन सकती हैं और फिर भी फुटबॉल खेल सकती हैं. सबसे ज्यादा मायने रखता है उनकी भागीदारी.'

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कैसे खुद को एक रोल मॉडल के रूप में  किया पेश

तनाज ने बताया, 'मैंने एक समर कैंप का आयोजन किया था, जिसमें शुरुआत में 1,200 लड़के आए और एक भी लड़की नहीं आई, तभी मैंने आगे बढ़ने और खुद को एक रोल मॉडल के रूप में पेश करने का फैसला किया. एक महिला कोच के प्रशिक्षण की खबर एक ऐसे मैदान पर जहां पहले केवल पुरुष कोच देखे गए थे, आग की तरह फैल गई. समुदाय में महिलाओं के साथ बातचीत करने के बाद, मेरे पास 500 से अधिक लड़कियां थीं, जिन्होंने पहले फुटबॉल को छुआ तक नहीं था, वे मैदान पर थीं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी सारी युवा लड़कियों और महिलाओं को फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित कर पाऊंगी. अब जब मैं उन्हें देखती हूं, तो यह मुझे कड़ी मेहनत करने और उनमें से अधिक को इस खूबसूरत खेल का पता लगाने में मदद करने के लिए प्रेरित करता है."

तनाज एक नेशनल लेवल हॉकी प्लेयर रह चुकी हैं और उन्होंने कई नेशनल लेवल गेम्स में भाग भी लिया है. वह कहती हैं, 'फुटबॉल से पहले मैंने हॉकी से शुरुआत की थी. फिर आगे बढ़ते हुए मेरी रुचि फुटबॉल में हो गई. ये दोनों खेल समान रूप से महत्वपूर्ण हैं और किसी एक को तरजीह देना दिल और आत्मा के बीच चुनाव करने जैसा है. हॉकी ने मुझे वह बनने में मदद की है जो मैं हूं और फुटबॉल वह है... जिसने मुझे एक उद्देश्य दिया और मुझे आगे बढ़ाया.'

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