महायुति को महाराष्ट्र में भारी बहुमत मिलने के बाद भी बीजेपी और शिवसेना के बीच चल रहा कोल्ड वॉर थमने का नाम नहीं ले रहा है. गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति को लेकर चल रहा विवाद अभी नहीं थमा है. इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रायगढ़ जिले के डीपीडीसी (जिला नियोजन समिति) की मीटिंग शिवसेना नेताओं की अनुपस्थिति में ली. इस बैठक में शिवसेना के किसी विधायक की उपस्थिति नहीं थी.
इस बारे में जब कर्जत के विधायक महेंद्र थोरवे और अलिबाग के विधायक महेंद्र दलवी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मीटिंग के बारे में कुछ भी नहीं पता था. इतना ही नहीं उन्हें विश्वास में लिए बिना यह मीटिंग होने की बात उन्होंने सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को देने और चर्चा करने की मांग भी की.
चार में से तीन विधायक शिवसेना के
गौरतलब है कि रायगढ़ जिले से 4 विधायक चुनकर आते हैं. इसमें से 3 विधायक शिवसेना के हैं, जिसमें महाड़ से विधायक भरत गोगावले (मंत्री), कर्जत से महेंद्र थोरवे, अलिबाग से महेंद्र दलवी तो वहीं श्रीवर्धन से राष्ट्रवादी कांग्रेस की नेता आदिती तटकरे विधानसभा पहुंची हैं.
रायगढ़ में दिख रहा शिवसेना का दबदबा
दरअसल, रायगढ़ में शिवसेना का दबदबा दिख रहा है तो एकनाथ शिंदे चाहते थे कि शिवसेना को पालकमंत्री का पद मिले. लेकिन फिर भी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की बेटी और मंत्री आदिती तटकरे का नाम घोषित किया. इसके बाद वह दावोस के टूर पर निकल गए. लेकिन शिंदे इससे काफी खफा थे. नाराज शिंदे ने मुंबई छोड़तक गांव चले गए और दो दिन वहीं गुजारे. ये बात सामने आते ही इन नियुक्तियों पर रोक लगा दी गई.
महायुति में फिर भड़क गई चिंगारी!
अब अजित पवार के शिंदे गुट के किसी नेता को जानकारी दिए बिना आदिती तटकरे और कलेक्टर के साथ मीटिंग करने से फिर एक बार महायुति में चिंगारी भड़क गई है. यह पूछा जाने लगा है कि क्या पहले ही बीजेपी से नाराज चल रहे शिंदे की अब अजित पवार भी नाकाबंदी कर रहे हैं?
अभिजीत करंडे