महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कबूतरखाने पर पाबंदी लगा दी गई है. यानि की कबूतरों को दाना खिलाने के स्थान को बंद करने का फैसला लिया गया है. जुलाई, 2025 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा ये आदेश पारित किया गया. अब इसे लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. जैन और हिंदू समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि कबूतरखाने पर पाबंदी से सांस्कृतिक परंपरा को नुक़सान पहुंच रहा है.
वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज (मंगलवार) को कबूतरखाने के पाबंदी को चल रहे विवाद पर चर्चा करने के लिए बैठक की. इस बैठक में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, मंत्री गणेश नाईक, गिरीश महाजन और मंगलप्रभात लोढ़ा मौजूद थे.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि जनता की भावना का सम्मान होना चाहिए, ऐसे अचानक कबूतरखाने पर पाबंदी लगाने का फैसला ठीक नहीं है. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि कबूतरों को नियंत्रित तरीके से दाना खिलाया जाए ताकि उनकी मौतें रोकी जा सकें, साथ ही स्वास्थ्य के लिए जरूरी सावधानियां और कबूतर की बीट की मशीनों से सफाई की व्यवस्था हो.
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उन्होंने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जब तक कोई दूसरा ऑप्शन तैयार नहीं कर लिया जाता है तब तक पशु संगठनों के साथ मिलकर नियंत्रित दाना कबूतरों को खिलाना जारी रखें. इसे लेकर 7 अगस्त को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मंजूरी लेने को भी कहा गया है. BMC को निर्देश दिया गया कि परंपरा, पशु कल्याण और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाते हुए कोर्ट में सरकार का पक्ष रखें. ये जानकारी मंगलप्रभात लोढ़ा ने साझा की है.
मुंबई में कबूतरखाने पर पाबंदी लगने के बाद कई इलाकों में प्रदर्शन भी हुए. जैन समाज के प्रतिनिधि ललित गांधी ने कहा कि यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है और पश्चिमी देशों में भी देखी जाती है. उन्होंने जानवरों के जीवन के संवैधानिक अधिकार का भी हवाला दिया.
ऋत्विक भालेकर / मुस्तफा शेख