बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश: चुनाव ड्यूटी पर कोर्ट स्टाफ नहीं जाएगा, चीफ जस्टिस के घर देर रात हुई सुनवाई

ये आदेश उस समय जारी किया गया, जब इन-चार्ज चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, एस्प्लेनेड, मुंबई और हाईकोर्ट के एक रजिस्ट्रार पहले ही BMC, कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को लिखकर बता चुके थे कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में ही अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने का फैसला लिया था.

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2009 के फैसले की अनदेखी पड़ी भारी, BMC को बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार 2009 के फैसले की अनदेखी पड़ी भारी, BMC को बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार

विद्या

  • मुंबई,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:16 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दुर्लभ और बेहद अहम कदम उठाते हुए देर रात चीफ जस्टिस के आवास पर विशेष सुनवाई की और बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को चुनाव ड्यूटी के लिए कोर्ट कर्मचारियों को तैनात करने से रोक दिया.

ये  विशेष बेंच जिसमें चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस अश्विन डी. भोबे शामिल थे, 30 दिसंबर 2025 को रात 8 बजे चीफ जस्टिस के घर पर बैठी. ये सुनवाई एक सुओ मोटो रिट याचिका पर हुई, जो तब दायर की गई जब नगर आयुक्त ने न्यायिक कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट देने से इनकार कर दिया.

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दरअसल, 29 दिसंबर 2025 को नगर आयुक्त-सह-जिला चुनाव अधिकारी ने एक पत्र जारी कर अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट देने की मांग को सीधे खारिज कर दिया था. इसके बाद कोर्ट स्टाफ को 30 दिसंबर को दोपहर 3 बजे तक ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया. 

ये आदेश उस समय जारी किया गया, जब इन-चार्ज चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, एस्प्लेनेड, मुंबई और हाईकोर्ट के एक रजिस्ट्रार पहले ही BMC, कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को लिखकर बता चुके थे कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में ही अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से मुक्त रखने का फैसला लिया था.

सुनवाई के दौरान BMC की ओर से पेश वकील कोमल पंजाबी और जोएल कार्लोस ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा. हालांकि, बेंच ने कहा कि बार-बार सूचित किए जाने के बावजूद BMC ने कोर्ट स्टाफ की तैनाती की प्रक्रिया जारी रखी.

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छह पन्नों के अपने आदेश में बेंच ने साफ कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 235 के तहत अधीनस्थ अदालतों और उनके कर्मचारियों पर पूरा नियंत्रण और निगरानी हाईकोर्ट की होती है. कोर्ट ने ये भी कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 159 में जिन विभागों और संस्थाओं से चुनाव ड्यूटी के लिए स्टाफ लेने की बात कही गई है, उसमें हाईकोर्ट या अधीनस्थ अदालतें शामिल नहीं हैं.

हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की उस परंपरा का भी हवाला दिया, जिसके अनुसार किसी भी असाधारण स्थिति में भी न्यायिक कर्मचारियों को चुनाव कार्य में लगाने से पहले हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी होती है.

कोर्ट ने BMC के वकीलों की उस अंतिम समय की मांग को भी खारिज कर दिया, जिसमें विवादित पत्र को वापस लेने की बात कही गई थी. इसके बजाय बेंच ने नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि वह व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताए कि किस कानूनी अधिकार के तहत ऐसा आदेश जारी किया गया.

हाईकोर्ट ने साफ तौर पर BMC को निर्देश दिया है कि 22 दिसंबर के पत्र के आधार पर किसी भी कोर्ट कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए और भविष्य में भी कोर्ट स्टाफ को चुनाव ड्यूटी के लिए तैनात न किया जाए. इस मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी 2026 को होगी

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