तबरेज अंसारी केस: झारखंड में सियासत गर्माई, विपक्ष ने कहा- ‘लिंचिंग लैंड बन गया है राज्य’

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि झारखंड लिंचिंग लैंड में तब्दील हो गया है. विपक्ष के मुताबिक एक के बाद एक ऐसी घटनाओं पर पुलिस वैसे ही पर्दा डालने की कोशिश करती है जैसे कि तबरेज़ असांरी से जुड़े केस में की गई. 

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तबरेज अंसारी (फाइल फोटो) तबरेज अंसारी (फाइल फोटो)

सत्यजीत कुमार

  • रांची,
  • 13 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 7:09 PM IST

  • विपक्ष का आरोप- ‘लिंचिंग लैंड’ में तब्दील हुआ झारखंड
  • विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग केस में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और 11 आरोपियों के खिलाफ धारा 302 को हटा कर धारा 304 किए जाने को लेकर झारखंड में राजनीति गर्मा गई है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि झारखंड ‘लिंचिंग लैंड’ में तब्दील हो गया है. विपक्ष के मुताबिक एक के बाद एक ऐसी घटनाओं पर पुलिस वैसे ही पर्दा डालने की कोशिश करती है जैसे कि तबरेज़ अंसारी से जुड़े केस में की गई.  

हालांकि राज्य के मुख्य सचिव डी के तिवारी ने कहा है कि जांच पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर आधारित है. धारा बदली गई हैं लेकिन ये सब अंतिम नहीं है. झारखंड के मंत्री सीपी सिंह का कहना है कि मीडिया तबरेज़ की मौत का महिमामंडन कर रही है, वो कोई शहीद नहीं था.

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झारखंड में विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जेएमएम नेता सोरेन का कहना है, ‘झारंखड लिंचिंग पैड बन गया है. तबरेज़ लिंचिंग केस समेत हाल फिलहाल के वर्षों में ऐसी कई घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है. राज्य सरकार को तबरेज़ केस में आरोपियों से धारा 302 को हटा कर धारा 304 किए जाने पर विपक्ष की ओर से आलोचना सुननी पड़ रही है. विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता आलमगीर आलम और जेवीएम नेता प्रदीप यादव ने जेएमएम के सुर में सुर मिलाते हुए राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

राज्य के मुख्य सचिव डीके तिवारी ने इंडिया टुडे को बताया कि ‘जांच पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पर आधारित है. जांच के दौरान धाराएं बदल सकती हैं लेकिन ये अंतिम नहीं है. जब तक मजिस्ट्रेट के सामने फाइनल चार्जशीट दाखिल नहीं हो जाती है ये डायनामिक प्रक्रिया है. यहां तक कि मजिस्ट्रेट भी अगर संतुष्ट नहीं होते तो धाराओं को बदलने का अधिकार रखते हैं.’

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झारखंड के मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि तबरेज अंसारी के केस का महिमा मंडन नहीं किया जाना चाहिए. वो कोई योद्धा या शहीद नहीं था. कानून को अपना काम करने दीजिए. वो चोर था और उसके पिता का भी यही काम था. निसंदेह किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए.

तबरेज़ की 17 जून को भीड़ ने बाइक चोरी के शक में बुरी तरह पिटाई की थी. तबरेज़ की बाद में 22 जून को अस्पताल में मौत हो गई थी.

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