राष्ट्र और राष्ट्रभक्ति क्या होती है? अगर आपको इसकी बानगी देखनी है तो सीआरपीएफ के उन जवानों का हौसला देखिए, जिन्होंने अपनी आंख के सामने साथियों को खो दिया, बावजूद इसके वह अपनी ड्यूटी पर डटे हैं. शनिवार को 'आजतक' ने पुलवामा हमले के दौरान काफिले में चल रहे सीआरपीएफ जवानों से खास बातचीत की. इस दौरान एक और बड़ा खुलासा हुआ. एक जवान ने बताया कि धमाके से पहले काफिले पर पथराव किया गया था.
काफिले में शामिल एक जवान ने बताया कि हम हादसे का शिकार हुई गाड़ी के 35-40 गाड़ी पीछे थे. हमले से पहले अचानक कुछ लोग शटर बंद कर रहे थे और कुछ लोग पथराव कर रहे थे. पथराव के 10 मिनट बाद अचानक धमाका हुआ. धमाका बहुत बड़ा था. धमाके के समय डर नहीं था, गुस्सा बहुत है.
अपने साथियों के बलिदान पर साथी जवान भावुक जरूर है, लेकिन वह अपने फर्ज को निभाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. एक जवान ने कहा कि अभी भी वह मंजर दिलो दिमाग से उतर नहीं रहा है. हम लोग सुबह साथ ही निकले थे. खाना-पीना साथ में खाए थे. उनके आंखों की झलक अभी भी दिखाई दे रही है.
सीआरपीएफ जवान ने 'आजतक' से कहा कि जम्मू से चले हम लोग 2 बजे, जैसे हम यहां पहुंचे अचानक धमाका हो गया. धमाके के बाद हमने जाकर देखा तो हमारे जवान शहीद हो गए थे. किसी तरह हमने जवानों को उठाया. उन्हें एंबुलेंस में रखकर भेजा गया. हमें बहुत दुख हुआ, लेकिन ड्यूटी के वक्त हम अपने दुख का इजहार नहीं कर सकते हैं. इन हमलों से हम डरने वाले नहीं है. और बढ़िया ड्यूटी करेंगे और बदला ही लेंगे.
सूत्रों के मुताबिक शुरुआती जांच से पता चला है कि आतंकी सर्विस रोड से आए और हमले के लिए उस इलाके को चुना जहां ढलान के कारण गाड़ियों की रफ्तार कम हो जाती है और तो सीआरपीएफ के काफिले के उस बस को निशाना बनाया गया, जो बुलेट प्रूफ नहीं थी. तो क्या आतंकियों के पास पूरे काफिले की सूचना पहले से थी? पुलवामा हमले की जांच जारी है. शनिवार को एनआईए की टीम दो-दो बार हमले वाली जगह पर पहुंची. शुक्रवार को स्थानीय एजेंसियों ने भी मौके की जांच की.
बता दें, पुलवामा आत्मघाती हमले में 40 से अधिक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे. धमाके की शुरुआती जांच के नतीजे चौंकाने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक आतंकियों ने आत्मघाती हमले के लिए सबसे ख़तरनाक विस्फोट आरडीएक्स का इस्तेमाल किया. जांच एजेंसियों को मौके पर किसी और पदार्थ नहीं मिले. जांच एजेंसियों को लगता है कि अगर विस्फोट के लिए किसी और केमिकल्स का इस्तेमाल हुआ भी हो, तो खराब मौसम ने सारे सबूत मिटा दिए.
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है. पाकिस्तान कनेक्शन और गहरा होता जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक आत्मघाती हमलावर आदिल साल भर पहले पाकिस्तान गया था. वहां के जैश मुख्यालय में उसके दिमाग में जहर भरा गया. पिछले कुछ महीनों से आदिल लगातार पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में था. उसका प्लान इस कदर गुप्त था कि स्तानीय जैश आतंकियों को भी इसकी भनक नहीं थी.
गौरव सावंत / श्वेता सिंह