कश्मीर का पाकिस्तान में विलय और इस्लामिक राज के मंसूबे... जानें मसरत आलम की मुस्लिम लीग पर क्यों लगा बैन

अलगाववादी नेता मसरत आलम भट के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. संगठन के नापाक मंसूबों के चलते ये कदम उठाया गया है. कारण, इसका मकसद जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में विलय कराना और यहां इस्लामिक शासन स्थापित करना है.

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मसरत आलम भट के संगठन पर केंद्र ने बैन लगा दिया है मसरत आलम भट के संगठन पर केंद्र ने बैन लगा दिया है

aajtak.in

  • श्रीनगर,
  • 27 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:45 PM IST

केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेता मसरत आलम भट के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर आतंकवाद विरोधी कानून UAPA के तहत प्रतिबंध लगा दिया है. संगठन के नापाक मंसूबों के चलते ये कदम उठाया गया है. कारण, इसका मकसद जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में विलय कराना और यहां इस्लामिक शासन स्थापित करना है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि यह प्रतिबंध देश में आतंक का राज कायम करने के इरादे से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्र-विरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में संगठन की संलिप्तता की प्रतिक्रिया के रूप में लगाया है.

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दरअसल, मसरत आलम भट अपने भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक प्रचार के लिए जाना जाता है. सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद भट हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी गुट का अध्यक्ष बना और फिलहाल वह जेल में बंद है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करना, उसका पाकिस्तान में विलय करना और इस्लामी शासन स्थापित करना है.

आतंकी गतिविधियों में संलिप्ता मिली

बता दें कि इस संगठन के सदस्य अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. इसके अलावा वह आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए पाकिस्तान और उसके प्रॉक्सी संगठनों सहित विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाते रहे हैं. गृह मंत्रालय ने इस बात पर जोर दिया कि मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) और उसके सदस्य देश की संवैधानिक सत्ता और व्यवस्था के प्रति अनादर दिखाते हैं. उनकी गैरकानूनी गतिविधियां भारत की अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव को कमजोर करती हैं.

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इसके अलावा, मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के भी संकेत मिले हैं. संगठन और उसके सदस्य देश में आतंक पैदा करने के इरादे से आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन कर रहे हैं, जिससे इसकी सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था खतरे में पड़ रही है.

लोगों को भड़काने का काम करता था संगठन

केंद्र सरकार का कहना है कि यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने की वकालत करना, झूठी कहानियों को बढ़ावा देना और क्षेत्र के लोगों के बीच राष्ट्र-विरोधी भावनाओं को भड़काना जारी रख सकता है, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा बाधित हो सकती है. इसलिए, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) को तत्काल प्रभाव से एक गैरकानूनी संघ घोषित कर दिया गया है.

2010 से जेल में बंद है भट

बता दें कि भट कश्मीर घाटी में हिंसक विरोध प्रदर्शन में कथित संलिप्तता के लिए 2010 से जेल में है. 2015 में उसकी रिहाई पीडीपी-बीजेपी गठबंधन में पहली बाधा बनी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने शपथ लेने के तुरंत बाद उसे रिहा कर दिया था. अपनी सहयोगी बीजेपी के दबाव में तत्कालीन राज्य सरकार को एक रैली में कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के बाद राजद्रोह और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में भट को फिर से गिरफ्तार करना पड़ा.

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भट पर 2010 में कश्मीर में हिंसक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया था. इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 100 से अधिक युवाओं की मौत हो गई थी.

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