पानीपत में गरजे हुड्डा- BJP सरकार को सत्ता से बेदखल करने तक चैन से नहीं बैठूंगा

पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने जनक्रांति यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार से हर वर्ग पूरी तरह दुखी है. मौजूदा समय में सरकार से किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी समेत समाज के तमाम वर्ग परेशान हैं.

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पानीपत के समालखा में सभा को संबोधित करते भूपिंदर सिंह हुड्डा पानीपत के समालखा में सभा को संबोधित करते भूपिंदर सिंह हुड्डा

नंदलाल शर्मा / अशोक सिंघल

  • पानीपत, हरियाणा ,
  • 03 जून 2018,
  • अपडेटेड 9:11 PM IST

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने रविवार को पानीपत के समालखा में मौजूदा बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि जब तक सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन नहीं होता है, वह चैन से नहीं बैठेंगे और ना ही सरकार को बैठने देंगे.

हुड्डा ने कहा कि चार साल का समय सरकार को दिया था कि वह जनहित में काम करे, लेकिन इन चार सालों में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है और प्रदेश के अमन-भाईचारे को ठेस पहुंचाने का काम किया है.

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पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने जनक्रांति यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार से हर वर्ग पूरी तरह दुखी है. मौजूदा समय में सरकार से किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी समेत समाज के तमाम वर्ग परेशान हैं.

उन्होंने कहा कि वह पिछले चार साल से जनता की आवाज सरकार तक पहुंचा रहे थे, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. अब आवाज पहुंचाने की बजाए सरकार को प्रदेश से भगाने का समय आ गया है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि सत्ता प्राप्त करने के लिए जनता से पूर्व में बीजेपी ने 154 वादे किए थे और सत्ता मिलते ही सारे वादों को भुला दिया गया.

हुड्‌डा ने कहा कि अब उनका रथ तभी थमेगा, जब प्रदेश की सत्ता से मौजूदा जनविरोधी सरकार को उखाड़ कर फेंक देंगे. उन्होंने कहा कि यह सत्ता और व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई है. इसमें हर आदमी की आहुति की जरूरत होगी.

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हुड्‌डा ने कहा कि उनका साथ रहा, तो प्रदेश से इस नकारा सरकार का सफाया कर दिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि अब सारे देश को बीजेपी के तेल का खेल समझ आ गया है, जब से केंद्र में बीजेपी सरकार आयी है, 10 लाख करोड़ रुपये हिन्दुस्तान की जनता की जेब से निकाल कर कंपनियों और सरकार के खजाने में भर लिए गए हैं.

हुड्डा ने कहा कि सरकार कहती है कि 10 लाख करोड़ रुपया गांवों के विकास के लिये खर्च किए हैं, तो फिर ये बताया जाए कि पंचायतों के इतिहास में सरपंचों को आन्दोलन क्यों करना पड़ रहा है. जनता के साथ सबसे क्रूर मजाक तो ये है कि 15 दिनों में तेल का भाव 4 रुपये बढ़ा कर 16वें दिन एक पैसा कम कर दिया गया.

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