कांग्रेस अधिवेशन में 'न्यायपथ प्रस्ताव' पारित, पार्टी ने BJP-RSS पर साधा निशाना

प्रस्ताव में कहा गया, 'विडंबना है कि जो संगठन स्वतंत्रता संग्राम, खासकर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर रहे थे, वे आज खुद को राष्ट्रवाद के ठेकेदार घोषित कर रहे हैं. बीजेपी-आरएसएस का छद्म राष्ट्रवाद केवल सत्ता प्राप्त करने का एक अवसरवादी हथकंडा है. उनका उद्देश्य लोगों को जोड़ने वाला राष्ट्रवाद नहीं, बल्कि सत्ता के लिए एक चालाक और शोषणकारी रणनीति है.'

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कांग्रेस अधिवेशन में 'न्यायपथ प्रस्ताव' पारित कांग्रेस अधिवेशन में 'न्यायपथ प्रस्ताव' पारित

aajtak.in

  • गांधीनगर,
  • 09 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 10:02 PM IST

कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कहा कि उसकी राष्ट्रवाद की परिकल्पना लोगों को जोड़ने का काम करती है, जबकि बीजेपी-आरएसएस का 'छद्म राष्ट्रवाद' समाज को बांटने का काम करता है. यह बयान कांग्रेस की ओर से साबरमती नदी के किनारे आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में पारित 'न्यायपथ प्रस्ताव' में दिया गया. 

इस प्रस्ताव में पार्टी की राष्ट्रवाद को लेकर सोच को मजबूती से रखा गया और उसे बीजेपी की विचारधारा से अलग बताया गया. प्रस्ताव में कहा गया, 'निश्चित रूप से भारत की क्षेत्रीय अखंडता हमारे राष्ट्र होने का प्रतीक है. लेकिन असली राष्ट्रवाद का मतलब है- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय, और भारत की जनता का सशक्तिकरण.'

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'कांग्रेस का राष्ट्रवाद पूरे देश को भाईचारे में बांधता है'

कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रवाद का तात्पर्य है- वंचितों, शोषितों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बराबरी के साथ आगे बढ़ने का अवसर देना. यह पूरे देश को भाईचारे और एकता की भावना में बांधता है. राष्ट्रवाद भारत की बहुलतावादी और उदार परंपराओं में निहित है- हमारे व्यवहार, विश्वास और जीवनशैली में.

'कांग्रेस के लिए राष्ट्रवाद का अर्थ लोगों को एकजुट करना'

प्रस्ताव में कहा गया, 'कांग्रेस के लिए राष्ट्रवाद का अर्थ है लोगों को एकजुट करना, जबकि बीजेपी-आरएसएस का छद्म राष्ट्रवाद समाज को विभाजित करता है.' कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी-आरएसएस का राष्ट्रवाद भारत की विविधता को मिटाने की कोशिश करता है, जबकि कांग्रेस का राष्ट्रवाद हमारे साझा विरासत में गहराई से समाया हुआ है. इसके विपरीत, बीजेपी-आरएसएस की राष्ट्रवाद की सोच नफरत और पूर्वाग्रह से भरी हुई है.

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'जिस संगठन ने किया था भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध'

प्रस्ताव में कहा गया, 'विडंबना है कि जो संगठन स्वतंत्रता संग्राम, खासकर भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध कर रहे थे, वे आज खुद को राष्ट्रवाद के ठेकेदार घोषित कर रहे हैं. बीजेपी-आरएसएस का छद्म राष्ट्रवाद केवल सत्ता प्राप्त करने का एक अवसरवादी हथकंडा है. उनका उद्देश्य लोगों को जोड़ने वाला राष्ट्रवाद नहीं, बल्कि सत्ता के लिए एक चालाक और शोषणकारी रणनीति है.'

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