गुजरातः 6 दशक बाद भी पूरी नहीं हो पाई है नर्मदा योजना, कहां फंसा है पेंच?

Gujarat Latest News: गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर प्रदेश में नर्मदा परियोजना को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.

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नर्मदा प्रोजेक्ट पर काम करते हुए मजदूर (File Pic) नर्मदा प्रोजेक्ट पर काम करते हुए मजदूर (File Pic)

aajtak.in

  • अहमादाबाद,
  • 07 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 3:07 PM IST
  • देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी प्रोजेक्ट की नींव
  • सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था प्लान

गुजरात में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजते ही एक बार फिर नर्मदा योजना का जिक्र होना शुरू हो गया है. 10 साल में पूरी होने वाली यह योजना विवादों में फंसने और राजनीति के बाद 6 दशकों से लंबित पड़ी है. 14 प्रधानमंत्री, 17 मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद नर्मदा प्रोजेक्ट अब तक पूरा नहीं हो पाया है. क्या है नर्मदा प्रोजेक्ट की कहानी, क्या है विवाद और क्यों 60 साल बाद भी यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया है. आइए जानते हैं. 

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सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1948 में इस पर विचार किया था. वल्लभ भाई पटेल चाहते थे कि नर्मदा नदी पर ऐसी योजना बनाई जाए, जिससे लोगों को पीने का स्वच्छ पानी और सिंचाई की पूरी व्यवस्था मिल पाए.

फाइल फोटो...

 

गुजरात की लाइफ लाइन सरदार सरोवर नर्मदा योजना 60 साल पहले 5 अप्रैल 1961 को तत्कालीन भरूच जिले और आज के नर्मदा जिले के नवागाम के पास देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी. उस वक्त नेहरू एक छोटे से विमान में नर्मदा पहुंचे थे. गुजरात के पहले मुख्यमंत्री जीवराज मेहता, मोरारजी देसाई , गुलज़ारी लाल नंदा के साथ नेहरू ने नर्मदा नदी के तट के अंदर दो केबल को इकट्ठा करके एक ब्लास्ट किया था और नर्मदा योजना का भूमि पूजन किया था. तब ये योजना 5 लाख हेक्टर जमीन को सिंचाई देने के लिए बनाई गई थी.

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नेहरू द्वारा भूमि पूजन के बाद इस प्रोजेक्ट में कुछ समस्याएं आई. इसके बाद सेंट्रल वोटर कमीशन के चेयमेन खोसला की अगुवाई में कमेटी बनी. इस कमेटी ने प्रोजेक्ट में संशोधन कर एक रिपोर्ट बनाई की डेम बनाने का जो खाका तैयार किया गया है वह सही नहीं है. इसमें कहा गया था कि 160 फिट का डैम, जिसे 520 फीट का बनाने का प्रस्ताव है उससे महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के कई गांव व शहर डूब सकते हैं. 

फाइल फोटो...

इसके बाद केंद्र सरकार ने नर्मदा योजना का पूरा खाखा तैयार करने के लिए नर्मदा ट्रिब्यूनल की रचना की थी. 1968 में बने इसे ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट तैयार करने में 10 साल का वक्त लग गया, 1978 में जो रिपोर्ट सामने आई उसमें डैम के पानी का स्तर 455  फीट रखने की बात कही. नर्मदा ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट पर हर किसी ने सहमति जताई. 

1978 में शुरू हुआ डैम बनाने का काम
नर्मदा ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट के बाद 1978 में नर्मदा डैम बनाने के लिए फाउंडेशन बनाने का काम शुरू किया गया. 1981 to 84 तक डैम बनाने का काम किया गया. हालांकि इसके बाद काम रूस गया. 24 अप्रैल 1987  में एक बार फिर डैम बनाने का काम जेपी कंपनी को दिया गया. 

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इसके बाद 1991 में नर्मदा योजना के विरोध को देखते हुए विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट के लिए आर्थिक साहयता देने से इनकार कर दिया. आर्थिक परेशानियों में फंसे नर्मदा प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए उस वक्त के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने नर्मदा बॉन्ड्स निकाले. इन बॉन्ड्स को गुजरात के लोगों ने बहुत तेजी से खरीदा. 1995 में इस डैम का निर्माण कार्य 80.03 मीटर तक पहुंचा.

इसी बीच नर्मदा बचाव आंदोलन की शुरुआत हो गई. नर्मदा बचाव आंदोलन की मुख्य नेता मेघा पाटकर ने इस प्रोजेक्ट का पर्यावरण और विस्थापन के मुद्दे को लेकर विरोध किया. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने सभी पहलूओं को ध्यान में रखकर डेम के निर्माण पर स्टे लगा दिया. कोर्ट के आदेशानुसार डेम के निर्माण कार्य पर रोक लग गई और 4 सालों तक 1 इंच भी काम नहीं हुआ. हालांकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही. 1999 में गुजरात सरकार की दलीलों को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च अदालत ने विस्थापन की शर्तों के साथ डैम के काम को दोबारा शुरू करने की इजाजत दे दी.

2002 में नर्मदा बांध का काम 100 मीटर तक हुआ. साल दर साल काम बढ़ा. 2014 में जब बीजेपी की सत्ता केंद्र में आई, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद नर्मदा प्रोजेक्ट की फाइल को संभाला और डैम पर गेट लगाने की इजाजत दी. तीन साल में डैम का काम पूरा हुआ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को सौंपा. हालांकि इस प्रोजेक्ट में अब भी कई काम बाकी है.

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फाइल फोटो...

नर्मदा योजना से किस राज्य को कितना लाभ होता है?
नर्मदा डैम से 1450 मेगावॉट बिजली उत्पादन होता है. जिसमें से 57% बिजली मध्य्प्रदेश, 27 % महाराष्ट्र को और गुजरात को 16% मिलती है. साथ में अगर पानी की बात की जाए थो कुल 28 मिलियन एकर फिट पानी नर्मदा डेम के जमा होता है, जिसमें से 18.25 मिलियन एकर फिट पानी मध्य्प्रदेश को 1 मिलियन एकर फिट गुजरात को और राजस्थान को 0.5 मिलियन एकर फिट राजस्थान को और 0.25 एकर फिट पानी महाराष्ट्र को मिलता है.

 

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