दिल्ली में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सिर्फ 4 महीने का वक्त बचा है. उससे पहले बीजेपी दिल्ली के 26 साल का वनवास खत्म करने के लिए बेताब है. राजस्थान के सवाई माधोपुर में दिल्ली बीजेपी शनिवार दोपहर से डेढ़ दिनों का चिंतन शिविर आयोजित करेगी. इस शिविर में लगभग 40 नेता दिल्ली में भावी रणनीति को लेकर रविवार शाम तक माथापच्ची करने वाले हैं. अलग अलग विषयों पर मंथन होने वाला है ताकि जीत का तानाबाना बुना जा सके.
कौन कौन होंगे चिंतन शिविर में शामिल?
इस चिंतन शिविर में सिर्फ पार्टी की कोर कमिटी को ही आमंत्रित किया गया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के हाथों में कमान है, पर इस बैठक से कई महत्वपूर्ण विषयों पर बाकी वरिष्ठ नेता भी शिरकत करेंगे. केंद्रीय नेतृत्व की ओर से प्रभारी और सह प्रभारी शामिल होने वाले हैं. उनके साथ ही दिल्ली के सभी सात सांसद और सात मौजूदा विधायक भी मौजूद रहेंगे. उनके अलावा वो पूर्व सांसद भी बैठक में होंगे जिनका टिकट इन चुनावों में काटा गया था. इसके अलावा कुछ और महत्त्वपूर्ण नेताओं जिनका योगदान आगामी चुनावों की दृष्टि से अहम है उन्हें भी न्यौता भेजा गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े कई बड़े पदाधिकारी जिनमें क्षेत्रीय प्रभारी और प्रांत प्रभारी भी शुमार हैं, शामिल होंगे.
किन किन विषयों पर चर्चा होगी
आने वाले चुनावों की रणनीति ज़ाहिर तौर पर सबसे बड़ा विषय होगा. चुनाव में सामूहिक नेतृत्व बेहतर होगा या कोई चेहरा मुख्यमंत्री के तौर पर लोगों के सामने पेश किया जाए उस पर भी बहस होगी. अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद बनी परिस्थितियों और चुनौतियों को भी सामने रखा जाएगा. आने वाले समय में आम आदमी पार्टी सरकार किन-किन योजनाओं को लागू करने वाली है उसको लेकर भाजपा की क्या कुछ काउंटर स्ट्रेटजी होगी उसे पर भी विचार की गुंजाइश है. चुनाव प्रचार के दौरान सोशल मीडिया और बाकी नॉरेटिव गढ़ने को लेकर के भी तमाम सीनियर नेता आपस में बातचीत करेंगे.
दिल्ली से दूर राजस्थान को क्यों चुना गया?
पार्टी के सीनियर नेताओं का कहना है कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार है इसलिए वहां पर दिल्ली से दूर मंथन करना बेहतर होता क्योंकि वहां किसी भी तरीके की कोई परेशानी नहीं आएगी. साथ ही साथ मीडिया की नजरों से दूर जब बातचीत होगी तो कई विषयों पर खुलकर चर्चा भी होगी. पार्टी नेता यह भी मानते हैं की पार्टी के अंदर सीनियर स्तर पर भी जबरदस्त गुटबाजी है और एक रात सभी नेता एक दूसरे के साथ बिताएंगे तो आपसी मतभेदों को भी दूर किया जा सकता है.
कुमार कुणाल