पहले हरी झंडी फिर ऐनवक्त पर क्यों टला दिल्ली मेयर का चुनाव, LG वीके सक्सेना ने बताई ये वजह

एलजी के मुताबिक ये भी जरूरी है कि कानून की पवित्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाए. लिहाजा गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री के इनपुट के बिना पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेना उचित नहीं होगा.

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26 अप्रैल को होने वाला मेयर का चुनाव टल गया है 26 अप्रैल को होने वाला मेयर का चुनाव टल गया है

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 11:08 PM IST

दिल्ली नगर निगम के मेयर के 26 अप्रैल को होने वाले चुनाव टल गए हैं. इसकी वजह पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति पर पेच फंसना बताया जा रहा है. इसके साथ ही एलजी ने चुनाव रद्द होने के कुछ कारण बताए हैं. दरअसल, MCD ने 26 अप्रैल 2024 को दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 35(1) के तहत मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया था, इसी अधिनियम की धारा 77 (A) के तहत एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति होती है, जो एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करती है.

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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी को लिखा कि जीएनसीटीडी एक्ट के तहत चुनाव करवाने के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति जरूरी होती है. GNCTD एक्ट की धारा 45 I(4)(viii) में कहा गया है कि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के माध्यम से मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को प्रस्तुत किया जाता है. यह चुनाव प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखने और कानून द्वारा निर्धारित शक्ति को बनाए रखने के लिए जरूरी है.

प्रक्रिया के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर ही उपराज्यपाल पीठासीन अधिकारी के नाम पर फाइनल मुहर लगाते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, ऐसे में कानूनी बाध्यता की वजह से मेयर का चुनाव नहीं हो सकता. 

बता दें कि मुख्यमंत्री की अनुशंसा के अभाव में पीठासीन अधिकारी के लिए 250 पार्षदों के नाम सौंपे गए थे, लेकिन मुख्यमंत्री की भागीदारी के बिना इस प्रक्रिया में आगे बढ़ने से कानूनी और संवैधानिक विसंगतियां पैदा हो सकती थीं. क्योंकि प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री की सहमति के बिना किसी को भी पीठासीन अधिकारी नहीं बनाया जा सकता है. 

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एलजी के मुताबिक ऐसे में ये भी जरूरी है कि इन परिस्थितियों में कानून की पवित्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाए. लिहाजा गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि मुख्यमंत्री के इनपुट के बिना पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में निर्णय लेना उचित नहीं होगा.

एमसीडी जिस तरह कार्य करती है, उसका सार्वजनिक सेवा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और यह आवश्यक है कि ये कार्यवाहियां एमसीडी पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें. इसे सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्तावित किया गया कि अधिनियम की धारा 36(1) के अनुसार चुनाव स्थगित कर दिया जाए और मौजूदा मेयर और डिप्टी मेयर अपने पद बरकरार रखें. इसलिए एलजी ने अपने प्रशासनिक अधिकार का प्रयोग करते हुए मौजूदा मेयर और डिप्टी मेयर को ही फिलहाल पद पर बने रहने का आदेश दिया.

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