राहुल-सोनिया ने दी एनडी तिवारी को श्रद्धांजलि, 21 को हलद्वानी में अंतिम संस्कार

हलद्वानी से पूर्व उनके पार्थिव शरीर को लखनऊ ले जाया जाएगा. वहां विधानसभा में लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. लखनऊ से उनका शव हलद्वानी ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा.

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सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फोटो-रॉयटर्स) सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फोटो-रॉयटर्स)

रविकांत सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 19 अक्टूबर 2018,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी का शव शनिवार शाम को पंत नगर ले जाया जाएगा. वहां से उनका पार्थिव शरीर हलद्वानी लाया जाएगा जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे.

अंतिम दर्शन संपन्न होने के बाद हलद्वानी के चित्रशील घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. नई दिल्ली में तिलक लेन स्थित उनके आवास पर शुक्रवार को दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा. शनिवार को उनका शव लखनऊ ले जाया जाएगा जहां विधानसभा में उनके पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए रखा जाएगा.

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शुक्रवार को दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तिवारी को उनके घर जाकर श्रद्धांजिल दी. इससे पहले गुलाम नबी आजाद और अहमद पटेल ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी.

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. तिवारी 93 साल के थे. वृद्धावस्था और गुर्दे की समस्याओं से जूझ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री का साकेत के मैक्स अस्पताल में गुरुवार को दोपहर तीन बजे निधन हुआ. उनके परिवार में उनकी पत्नी उज्जवला और बेटा रोहित शेखर हैं.

दो राज्यों के मुख्यमंत्री रहने वाले पहले भारतीय एन डी तिवारी पिछले साल सितंबर से ही अस्पताल में भर्ती थे. इस साल जुलाई से वह इंटेसिंव केयर यूनिट (आईसीयू) में थे. नैनीताल में 18 अक्टूबर, 1925 को जन्मे तिवारी तीन बार (1976-77, 1984-85 और 1988-89) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके साथ उत्तराखंड में वह 2002-2007 में मुख्यमंत्री रहे.

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इसके अलावा, चौधरी चरण सिंह की सरकार में वह केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्यरत भी रहे. वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मंत्रिमंडल का भी हिस्सा रहे. इसमें उन्होंने वित्तमंत्री और विदेश मंत्री की जिम्मेदारियां संभालीं. साल 2007 में तिवारी को आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया. 2009 में एक यौन मामले में शामिल होने के कारण उन्हें इस पद से हटना पड़ा.

स्वतंत्रता के बाद 1952 में वह नैनीताल निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने थे. 1963 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और 1994 में इस पार्टी से निकलकर उन्होंने अखिल भारतीय इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) नाम से अपनी पार्टी का निर्माण किया. 1996 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए.

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