दिल्ली के किराड़ी विधानसभा के लोग इलाके के पार्षदों से बेहद नाराज हैं. लोगों का आरोप है कि पार्षदों की नाकामी के चलते उनका इलाका इस कदर पिछड़ गया है कि लोग उनके बेटे-बेटियों से रिश्ता करने में कतराने लगे हैं. पूरे विधानसभा क्षेत्र के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाय तो हर जगह खुली हुई नालिया, कूड़े का ढेर और टूटी हुई सड़क आपके स्वागत के लिये तैयार हैं. हालात इतने बुरे हैं कि ज्यादातर जगहों पर पार्क तो छोड़िए चलने के लिये माकूल सड़क तक नहीं है.
किराड़ी इलाके में एमसीडी की डिस्पेंसरी भी सभी जगह नहीं है. जहां है वहां भी डॉक्टरों और दवाओं का अभाव है. हर वार्ड में गंदे पानी का तालाब है जहां इलाके की पूरी गंदगी डाली जाती है जिसके सड़ने से इतनी गंदी बदबू आती है कि आप वहां रहना तो दूर वहां से गुजर नहीं सकते हैं.
मुख्य तौर पर किराड़ी में साफ-सफाई का अभाव, जलभराव की समस्या, खुली हुई गंदी नालियां, कूड़े के लिए ढलावघर तक नहीं है. तंग सड़कें और गलियां, आवारा कुत्ते और जानवर, ट्रैफिक जाम, कानून व्यवस्था का बुरा हाल और बच्चे चोरी की वारदातें यहां सबसे ज्यादा होती हैं.
किराड़ी में हर वो समस्या है जो दिल्ली की घनी आबादी वाले और अवैध कॉलोनी में मौजूद है. बावजूद इसके इलाके के पार्षद और विधायक आंख मूंदे बैठे हैं. अतिक्रमण और अवैध कब्जे यहां आम बात है. जलभराव के चलते यहां मच्छर और मक्खियों से लोग परेशान हैं. इनसे होने वाली बीमारी जैसे मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया से भी लोग परेशान हैं.
देश की राजधानी दिल्ली का एक विधानसभा क्षेत्र अगर इतना पिछड़ा हुआ है तो बाकी जगहों पर क्या हालात होंगे ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है. इन सब के बीच ये सवाल बहुत बड़ा है कि विकास के दावे करने वाली पार्टियां आखिर क्यों सही मायने में विकास नहीं कर पाती हैं और खामियाज़ा आम लोगों को भुगतना पड़ता है.
अनुग्रह मिश्र