JNU छात्रों का सरकार के खिलाफ हल्लाबोल, आज फिर निकाला मार्च

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए आवंटन सकल राष्ट्रीय आय का 1 फीसदी से भी कम है और बजट के खर्चे में शिक्षा का हिस्सा घटाकर 3.48 फीसदी ही रह गया है.

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सरकार की नीतियों के खिलाफ छात्रों का संसद मार्च सरकार की नीतियों के खिलाफ छात्रों का संसद मार्च

परमीता शर्मा / आमिर हक / आशुतोष मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:05 PM IST

दिल्ली में हजारों छात्र और अध्यापक मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ संसद मार्च करने निकले और मंडी हाउस पर जमा हुए. यहां से उन्होंने संसद मार्च शुरू किया. मोदी सरकार पर शैक्षणिक संस्थानों के निजीकरण का आरोप लगाते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय समेत कई कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थाओं के हजारों बच्चे और शिक्षकों ने बैनर-पोस्टर लेकर सरकार का विरोध करते हुए संसद मार्च शुरू किया.

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प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि केंद्रीय बजट में शिक्षा के लिए आवंटन सकल राष्ट्रीय आय का 1 फीसदी से भी कम है और बजट के खर्चे में शिक्षा का हिस्सा घटाकर 3.48 फीसदी ही रह गया है. छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालयों को अपनी बढ़ी हुई वित्तीय जरूरतों को कम से कम 30 फीसदी खुद उगाहने के लिए मजबूर करने वाली शिक्षा नीति, उच्च शिक्षा को महंगा कर देगी और इससे ज्यादातर लोग उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएंगे.

हाल ही में मोदी सरकार ने कई शैक्षणिक संस्थानों को ग्रेड के आधार पर स्वायत्तता देने का फैसला लिया था. इन छात्रों का आरोप है कि सरकार विश्वविद्यालयों को सातवें वेतन आयोग के कारण बढ़े हुए वित्तीय भार का 30 फीसदी खुद उगाहने का दबाव बना रही है जिसके लिए पैसा यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों की फीस से ही निकालेंगे. छात्रों का आरोप है कि इससे स्नातक डिग्री का औसत खर्चा 3 से 4 गुना तक बढ़ जाएगा और गरीब तबका उच्च शिक्षा से दूर हो जाएगा.

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JNU और डीयू के कई प्रोफेसरों ने आजतक से बातचीत में कहा कि प्रतिष्ठित कॉलेजों को स्वायत्तता देने का मोदी सरकार का फैसला दर्शन शिक्षक की दुकानों में तब्दील करने की साजिश है. जिससे यह कॉलेज अपनी फीस बढ़ाने और सेल्फ फाइनेंसिंग पाठ्यक्रम लागू कर संसाधन पैदा करने के लिए बाध्य होंगे और गरीब तबका ऐसे शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन भी नहीं ले पाएगा. हजारों छात्र जहां शैक्षणिक संस्थानों के निजीकरण के खिलाफ थे वही अध्यापक नौकरियों और प्रमोशन में रुकावट के विरोध में संसद मार्च करने उतरे.

छात्रों को समर्थन देने के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया भी मंडी हाउस पहुंचे. आजतक से बातचीत में मनीष सिसोदिया ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार पहले ही शिक्षा का बजट कम कर रही है और शैक्षणिक संस्थाओं का निजीकरण करके पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है जिससे गरीब तबका उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएगा. मनीष सिसोदिया के साथ ही जेडीयू के सांसद शरद यादव भी संसद मार्च का हिस्सा बने.

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