CBI के स्थायी निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

सीबीआई (CBI) के स्थायी निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अब 25 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. याचिका में कहा गया है कि सीबीआई डायरेक्टर की रिटायरमेंट से पहले ही नए डायरेक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए.

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supreme court (File Photo- Aajtak) supreme court (File Photo- Aajtak)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 20 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 11:15 PM IST
  • स्थायी CBI निदेशक की नियुक्ति की मांग
  • 25 अक्टूबर होगी सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई

सीबीआई (CBI) के स्थायी निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार यानी 25 अक्टूबर को होगी. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सीबीआई का स्थायी निदेशक नियुक्त कर दिया गया है.

प्रशांत भूषण ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि हर बार ऐसा ही होता है. सरकार अस्थाई निदेशक नियुक्त कर देती है. जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि प्रकाश सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में भी यही कहा गया है कि भावी निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया मौजूदा निदेशक के रिटायरमेंट से दो महीने पहले शुरू हो जानी चाहिए. एजी केके वेणुगोपाल ने इस पर कहा कि ये गलत नहीं है. हम इसे अपना सकते हैं, लेकिन कई बार अपवाद भी होते हैं.

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प्रशांत भूषण ने कहा कि अगर प्रक्रिया समय से शुरू ना की जाए तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारी पर कार्रवाई की जाए. जस्टिस राव ने कहा कि अगर वो स्थापित नियमों का उल्लंघन करें तो आप कोर्ट में आ सकते हैं. लेकिन क्या सीबीआई निदेशक की नियुक्ति प्रकाश सिंह मामले में दिए गए फैसले में उल्लेखित प्रक्रिया के तहत आती है? 

बता दें, सीबीआई के स्थायी निदेशक की नियुक्ति के लिए एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि अंतरिम निदेशक को इतने लंबे समय तक नहीं होना चाहिए. सीबीआई डायरेक्टर की रिटायरमेंट से पहले ही नए डायरेक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए.

याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने मांग की कि सरकार को आदेश दिया जाए कि जल्द से जल्द सलेक्शन कमेटी की बैठक बुला कर स्थायी उपाय किए जाएं. इस पर कोर्ट ने कहा कि बिना सरकार का पक्ष सुने हम ऐसा आदेश नहीं पारित कर सकते.

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