नहीं रुकी ऑनलाइन दवाओं की बिक्री, HC ने केंद्र से मांगा जवाब

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का बहुत बड़ा कारोबार है, और ऑनलाइन बिक रही इन दवाओं पर राज्य सरकारों के साथ साथ केंद्र सरकार का अंकुश भी न के बराबर है.

Advertisement
ऑनलाइन खरीदारी ऑनलाइन खरीदारी

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 06 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर रोक लगाने के बावजूद कोर्ट के आदेशों का पालन न होने पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 दिसंबर को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ऑनलाइन फार्मेसी पर रोक लगा दी थी. बुधवार को हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता ने बताया कि कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन भी नहीं हो पा रहा है और ऑनलाइन फार्मेसी धड़ल्ले से दवाओं की होम डिलीवरी कर रही हैं. डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर इसका जवाब मांगा है. कोर्ट ने इस बात को माना कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता और इस पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है.

Advertisement

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे मेट्रो शहरों में दवाओं की ऑनलाइन बिक्री का बहुत बड़ा कारोबार है, और ऑनलाइन बिक रही इन दवाओं पर राज्य सरकारों के साथ साथ केंद्र सरकार का अंकुश भी न के बराबर है. यही वजह है कि अक्सर ऑनलाइन बिक रही दवाओं में नियमों को ताक पर रखना आम होता जा रहा है. याचिका में इस बात पर खासतौर से बताया गया है कि डॉक्टर के नकली प्रिसक्रिप्शन के माध्यम से ऐसी दवाओं को घर बैठे मंगवाया जा सकता है, जो जान के लिए जोखिम भरा साबित हो सकता है. इसके अलावा verified डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन से भी जो दवाएं मंगाई जा रही हैं, वो एक लेटर हेड को अनगिनत बार इस्तेमाल करके ऑनलाइन फार्मेसी से मंगाई जा सकती हैं.

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत भी दवाओं की बिक्री ऑनलाइन नहीं की जा सकती. याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ वेबसाइट्स प्रतिबंधित दवाओं की भी सप्लाई कर रही हैं. लेकिन सच पूछिए तो ऑनलाइन फार्मेसी पर नजर रखना और प्रतिबंध के आदेश को पूरी तरह से लागू कराना सरकार के लिए भी टेढ़ी खीर ही है.

Advertisement

केंद्र सरकार ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि कुछ कमेटियों का गठन किया गया है, जो इस पर विचार कर रही हैं इंटरनेट पर बेची जाने वाली दवाएं लोगों तक ऑनलाइन पहुंचाना कितना सुरक्षित है. हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि 6 महीने का वक्त चाहिए ताकि इस दिशा में ठीक तरीके से फैसला किया जा सके. कोर्ट अब इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई को करेगा.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement