जनकपुरी से आरके आश्रम के बीच मेट्रो संचालन का रास्ता अब साफ हो गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली के लोगों को दिवाली का तोहफा देते हुए जनकपुरी और आरके आश्रम के बीच मेट्रो संचालन में लंबे समय से बने अड़चन को दूर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
अब पश्चिम और मध्य दिल्ली के लाखों लोगों को दिल्ली के अन्य हिस्सों समेत एनसीआर के शहरों में आना-जाना आसान हो जाएगा. डेरावल नगर के पास इस प्रोजेक्ट में 316 पेड़ आने से काम प्रभावित हो रहा था. सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज इन पेड़ों को काटने और प्रत्यारोपित करने की अनुमति दी है. डीएमआरसी को अब प्रोजेक्ट में आ रहे इन 316 पेड़ों की जगह 10 गुना अधिक 3160 नए पेड़ लगाने होंगे.
29.5 किलोमीटर का यह कॉरिडोर मजेंटा लाइन के जनकपुरी वेस्ट स्टेशन को ब्लू लाइन के आरके आश्रम स्टेशन से जोड़ेगा. यह कॉरिडोर जनकपुरी से आरके आश्रम के बीच सदर बाजार, पुलबंगश, घंटा घर, डेरावल नगर, अशोक विहार, आजादपुर, पीतमपुरा, मंगोलपुरी, पीरागढ़ी, पश्चिम विहार, केशोपुर सहित कई घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरेगा.
22 स्टेशन और बनेंगे
दरअसल, दिल्ली मेट्रो के फेस-4 के तहत जनकपुरी वेस्ट से आरके आश्रम तक का यह कॉरिडोर करीब 29.5 किलोमीटर का बनाया जाना है. इस कॉरिडोर के अंतर्गत आरके आश्रम, नबी करीम, सदर बाजार, पुलबंगश, घंटा घर, डेरावल नगर, अशोक विहार, आजादपुर, मजलिस पार्क, भलस्वा, हैदरपुर बादली मोड़, उत्तरी पीतमपुरा, प्रशांत विहार, मधुबन चौक, दीपाली चौक, पुष्पांजलि एन्क्लेव, वेस्ट एन्क्लेव, मंगोलपुरी, पीरागढ़ी, पश्चिम विहार, केशोपुर, कृष्णा पार्क एक्सटेंशन और जनकपुरी पश्चिम समेत 22 स्टेशन बनेंगे.
मिली पेड़ काटने की अनुमति
प्रोजेक्ट तीन हिस्सों में पूरा होना है. पहले हिस्से में जनकपुरी से कृष्णा पार्क तक अंडरग्रांड कॉरिडोर होगा. कृष्णा पार्क से अशोक विहार तक एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाना है. जबकि अशोक विहार से डेरावल नगर से लेकर आरके आश्रम तक अंडरग्राउंड कॉरिडोर बनाया जाना है. जनकपुरी से आरके आश्रम कॉरिडोर के बीच डेरावल नगर पड़ता है. यहां गुरूद्वारा नानकदेव के पास स्माइल खां पार्क है, जहां कॉरिडोर के प्रोजेक्ट में 316 पेड़ आ रहे हैं. इन्हीं पेड़ों की वजह से कॉरिडोर के निर्माण का काम रूका हुआ है. इन पेड़ों को काटने और प्रत्यारोपित करने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) ने अनुमति मांगी थी.
चिन्हित के अलावा दूसरे पेड़ काटने की अनुमति नहीं
दिल्ली सरकार से अनुमति मिलने के बाद अब डीएमआरसी 316 पेड़ों में से देशी प्रजाति के 185 पेड़ों को अलग-अलग साइटों पर प्रत्यारोपित करेगा. जबकि केवल गैर देशी प्रजाति के 131 पेड़ों की कटाई करेगा. दिल्ली सरकार ने डीएमआरसी को निर्देश दिया है कि सरकार द्वारा चिन्हित और स्वीकृत किए गए पेड़ों के अलावा साइट पर स्थित एक भी अन्य पेड़ को नुकसान न पहुंचाएं. यदि 316 स्वीकृत पेड़ों के अलावा कोई भी पेड़ क्षतिग्रस्त होता है, तो यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत अपराध होगा.
3 महीने के अंदर लगेंगे नए पेड़
डीएमआरसी अब साइट पर 58 फीसद पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के अलावा 3,160 नए पेड़ पौधे भी लगाएगा. यह सभी 3,160 पेड़ अलग-अलग चिन्हित जगहों पर अनुमति मिलने की तारीख से 3 महीने के अंदर लगाने होंगे. दिल्ली सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक डीएमआरसी अगले 7 सालों तक पेड़ों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेगा.
कई प्रजाति के पेड़ लगाए जाएंगे
दिल्ली सरकार द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के मुताबिक पेड़ों को काटने और प्रत्यारोपित करने के बदले चिन्हित स्थानों की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे. इनमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखान, गूलर, बरगद, देशी किकर और अर्जुन समेत अन्य प्रजातियों के पौधे शामिल हैं. इसके साथ ही गैर-वन भूमि पर 6-8 फीट ऊंचाई के पौधे लगाए जाएंगे.
6 महीने में करें प्रत्यारोपण का काम
डीएमआरसी को निर्देश दिया गया है कि जिन पेड़ों का प्रत्यारोपण किया जाना है, उनके लिए आवश्यक शर्तें पूरी करने के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को तुरंत शुरू करें और छह महीने के अंदर चिंहित पेड़ों के प्रत्यारोपण का कार्य पूरा करें. इसके बाद डीएमआरसी इन पेड़ों की निगरानी कर रहा है, इस संबंध में वृक्ष अधिकारी को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी.
एक पेड़ के बदले 5 पेड़
दिल्ली सरकार ने डीएमआरसी को परियोजना के लिए वृक्षारोपण नीति 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट जमा करने को कहा है. डीएमआरसी को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यदि कोई प्रत्यारोपित पेड़ जीवित नहीं रहता है, तो उसके बदले में 15 फीट लंबे और 6 इंच मोटे देशी प्रजाति के 5 पेड़ लगाने होंगे और इसका खर्च भी उसको वहन करना होगा.
पक्षी का घोंसला मिलने पर ये नियम
यदि किसी पेड़ में पक्षियों का घोंसला पाया जाता है तो उसे तब तक काटने या प्रत्यारोपित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि पक्षी पेड़ को छोड़ नहीं देते. इसके अलावा, डीएमआरसी द्वारा पेड़ों की कटाई के 90 दिनों के भीतर उसकी टहनी आदि को पास के श्मशान में निःशुल्क पहुंचाना होगा.
पंकज जैन