अब गर्मी में दिल्लीवाले नहीं होंगे बेहाल, बिजली कट पर केजरीवाल सरकार का ये प्लान

दिल्ली की केजरीवाल सरकार का दावा है कि उसने दिल्ली में पावर ओवर लोडिंग की समस्या का समाधान कर दिया है. सरकार के मुताबिक दिल्ली में बिजली ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ने से बैटरियों की मदद से बिजली आपूर्ति की जाएगी.

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दिल्ली में बिजली स्टोरेज पर केजरीवाल सरकार का प्लान दिल्ली में बिजली स्टोरेज पर केजरीवाल सरकार का प्लान

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2021,
  • अपडेटेड 6:18 PM IST
  • रानी बाग में बैटरी स्टोरेज सिस्टम की शुरुआत
  • ट्रांसफॉर्मर पर ओवर लोड होने पर बैटरियों से बिजली आपूर्ति
  • दिल्ली सरकार इसे मान रही है एक बड़ी उपलब्धि


दिल्ली की केजरीवाल सरकार का दावा है कि उसने दिल्ली में पावर ओवर लोडिंग की समस्या का समाधान कर दिया है. सरकार के मुताबिक दिल्ली में बिजली ट्रांसफॉर्मर पर लोड बढ़ने से बैटरियों की मदद से बिजली आपूर्ति की जाएगी. दिल्ली सरकार इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि मान रही है.

दरअसल, दिल्ली सरकार की मानें तो देश में केजरीवाल सरकार पहली ऐसी सरकार है, जिसने इस तरह का प्रयोग किया है. दिल्ली में पावर ओवर लोडिंग की समस्या के समाधान के लिए देश का पहला नव-निर्मित आधुनिक यूटिलिटी स्केल स्टोरेज सिस्टम रानीबाग में शुरू किया गया है. रानी बाग के अंदर देश का यह पहला बैटरी स्टोरेज सिस्टम शुरू किया जा रहा है. यह बहुत ही साधारण सिस्टम है. इसकी आयु 10-20 साल है.

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ऐसे काम करेगा बैटरी स्टोरेज सिस्टम 
जब पीक लोड होता है, उस समय ट्रांसफॉर्मर ओवर लोड हो जाते हैं और ट्रांसफॉर्मर के जलने से बिजली चली जाती है. यह हर साल एक-डेढ़ महीने तक चलता है. जून या जुलाई के महीने में इसकी शुरुआत होती है. सरकार की मानें तो नए विकल्प के बाद अब जब पीक समय होगा, तब बैट्री पावर देगी और जब लो पावर की मांग होती, तब बैटरी चार्ज होती रहेगी. 

बैटरी की कीमत कम होने पर बढ़ेगा इस्तेमाल
अगर चाहें तो इसको बाकी दिनों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. पीक समय में आधे से एक घंटे के लिए पावर स्टोर करके रखना होता है, जिसकी अब जरूरत नहीं होगी. इसमें इस्तेमाल होने वाली लिथियम युक्त बैटरी कम से कम 10 साल तक चलेगी. 

अब इसकी बैटरी की कीमत भी काफी कम हो गई है. अगर हम 4 घंटे का स्टोरेज मान कर चलें तो 150 किलोवॉट है और अगर ज्यादा स्टोरेज मान कर चलें तो 600 किलोवॉट है. इसकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये है. बैटरी की कीमत एक-चौथाई कम कर दी जाए तो लोग और ज्यादा लगाएंगे. बैटरी स्टोरेज की कीमत जितनी कम होगी उतना ही अधिक लोग इसका इस्तेमाल कर पाएंगे. 

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जेनरेटर का हो सकता है विकल्प
हॉस्पिटल या अन्य जगहों पर इमरजेंसी बैकअप के लिए जेनरेटर लगा कर रखते हैं. सभी जेनरेटर सिस्टम को इस बैटरी सिस्टम से तब्दील किया जा सकता है. 

 

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