'प्रदूषण से निपटने के लिए जरूरी...', सिविल डिफेंस वालंटियर को लेकर LG वीके सक्सेना ने CM आतिशी को लिखी चिट्ठी

उपराज्यपाल सक्सेना ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि आगामी दिवाली त्योहार को देखते हुए 1 नवंबर से नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों और बस मार्शलों की तुरंत पुनः नियुक्ति की जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली की गंभीर वायु प्रदूषण समस्या से निपटने और प्रभावित लोगों की भलाई हेतु यह नियुक्ति अत्यंत जरूरी है. उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में कहा कि उनके पार्टी के नेता इस मुद्दे पर अवांछनीय राजनीति कर रहे हैं.

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दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और सीएम आतिशी. (File Photo) दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना और सीएम आतिशी. (File Photo)

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 02 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले सिविल डिफेंस वॉलंटियर (सीडीवी) के नियमितीकरण को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच एक-दूसरे पर हजारों नौकरियों के खोने का आरोप लगाया जा रहा है. इस मुद्दे ने उस समय एक नया मोड़ ले लिया है जब दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली सरकार द्वारा उनकी 24 अक्टूबर, 2024 को जारी निर्देश का पालन न करने पर नाराजगी जताई और सीएम आतिशी को चिट्ठी लिख दी.

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उपराज्यपाल सक्सेना ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि आगामी दिवाली त्योहार को देखते हुए 1 नवंबर से नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों और बस मार्शलों की तुरंत पुनः नियुक्ति की जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दिल्ली की गंभीर वायु प्रदूषण समस्या से निपटने और प्रभावित लोगों की भलाई हेतु यह नियुक्ति अत्यंत जरूरी है. उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में कहा कि उनके पार्टी के नेता इस मुद्दे पर अवांछनीय राजनीति कर रहे हैं. साथ ही, उन्होंने आग्रह किया कि गरीब सीडीवी और प्रदूषण से प्रभावित असहाय लोगों के हित में इस मामले को तुरंत सुलझाया जाए.

इस राजनीतिक विवाद में जहां एक ओर विपक्षी भाजपा ने आप सरकार पर नौकरियों को बरकरार रखने में विफल रहने का आरोप लगाया है, वहीं आप ने इसे उपराज्यपाल और भाजपा की साजिश करार दिया है. आप का कहना है कि भाजपा गरीब मजदूरों और युवाओं के रोजगार के प्रति असंवेदनशील है. इस वाद-विवाद के बीच, सीडीवी का भविष्य अनिश्चित है और इस पर जल्द निर्णय आना जरूरी है. चुनावी माहौल में अब देखना होगा कि इन मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच क्या समाधान निकलता है.

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