नौनिहालों के मिड-डे मील पर डाका! छत्तीसगढ़ में बच्चों की थाली से हरी सब्जी गायब

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में बीजाकुरा गांव के प्राथमिक विद्यालय पटेलपारा में 43 पढ़ने वाले छात्र हैं. इनको दिए जाने वाले मीड डे मील को लेकर शिक्षा विभाग के तरफ से मेनू तैयार है. इसके हिसाब से बच्चों को प्रतिदिन गुणवत्ता युक्त पौष्टिक भोजन दिया जाना है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से बच्चों की थाली से सब्जी गायब है.

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मिड-डे मील खाते बच्चे. मिड-डे मील खाते बच्चे.

सुमित सिंह

  • बलरामपुर,
  • 07 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:24 PM IST

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मीड डे मील (मध्यान भोजन) को लेकर सालाना करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं. सरकार बच्चों को पौष्टिक युक्त भोजन उपलब्ध कराने की दावे करती हो, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में बीजाकुरा प्राथमिक विद्यालय पटेलपारा की तस्वीर उन दावों की पोल खोल रही है. 

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दरअसल, पूरा मामला जिले के बीजाकुरा गांव के प्राथमिक विद्यालय पटेलपारा का है. यहां कुल 43 पढ़ने वाले छात्र हैं. इनको दिए वाले मीड डे मील को लेकर शिक्षा विभाग के तरफ से मेनू तैयार है. इसके हिसाब से बच्चों को प्रतिदिन गुणवत्ता युक्त पौष्टिक भोजन दिया जाना है. लेकिन पिछले एक सप्ताह से बच्चों की थाली से सब्जी गायब है. बच्चों को कभी चावल दाल तो कभी सिर्फ चावल ही परोसा जा रहा है.

ये भी पढ़ें- बिहार: स्कूल में मिड डे मील बनाने के लिए नहीं मिली लकड़ी तो रसोइये ने झोंक दी बेंच

एक सप्ताह से बच्चों की थाली से हरी सब्जी गायब
 
बता दें पिछले एक सप्ताह से बच्चों की थाली से हरी सब्जी गायब है. बच्चो सिर्फ दाल चावल, तो कभी चावल में हल्दी मिलाकर दिया जा रहा है. मामले में ऑन कैमरा प्रिंसिपल ने कुछ भी कहने से मना कर दिया. बंद कैमरे में उनका जवाब था, भोजन सामग्री सप्लाई करने वाले समूह के द्वारा सब्जियां उपलब्ध नहीं कराई गई है.  

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बच्चों को दिया गया मिड-डे मील.

मामले में जिला शिक्षा अधिकारी ने कही ये बात

मामला जब जिला शिक्षा अधिकारी देवेंद्र नाथ मिश्र तक पहुंचा तो उनके द्वारा जल्द ही मामले पर संज्ञान लेते हुए जांच और उचित कार्रवाई करने की बात कही है. वहीं, महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा, इस तरह की जो शिकायतें आएंगी उस पर कड़ी कार्रवाई होगी. बच्चों के पोषण आहार के लिए सरकार लगातार काम कर रही है और यही कारण है कि प्रदेश में जो कुपोषण की दर है उसमें लगभग 6% की कमी आई है.

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