पशुपति पारस के आरोप पर चिराग पासवान के सलाहकार का जवाब, बताई विवाद की वजह

सौरभ ने ये भी कहा कि क्या 15 सीट पर लड़कर बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? चिराग पासवान अपने चाचा का पिता से कम सम्मान नहीं करते.

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चिराग पासवान और सौरभ पांडेय (फाइल फोटो) चिराग पासवान और सौरभ पांडेय (फाइल फोटो)

हिमांशु मिश्रा

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST
  • सौरभ पांडेय ने पशुपति पारस को लिखा पत्र
  • पशुपति पारस ने सौरभ पर लगाए थे कई आरोप

रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में टूट पड़ चुकी है. पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच पार्टी दो धड़ों में बंट चुकी है. पशुपति पारस ने चिराग पासवान के राजनीतिक सलाहकार सौरभ पांडेय पर कई आरोप लगाए थे. बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी के अकेले चुनाव मैदान में उतरने के पीछे चिराग के सलाहकार सौरभ पांडेय को जिम्मेदार बताया था.

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सौरभ पांडेय ने पशुपति पारस के आरोप पर चुप्पी तोड़ी है. सौरभ ने चिट्ठी लिखकर पारस के आरोप का जवाब दिया है. रामविलास पासवान की बरसी के बाद सौरभ ने बीते बिहार चुनाव पर तोड़ी चुप्पी. बिहार इलेक्शन में सभी उठापटक के साथ आर्किटेक्ट ऑफ 2020 इलेक्शन का आरोप पशुपति पारस सौरभ पर लगाते हैं जिससे नीतीश कुमार की स्थिति खराब हुई. 

क्या कहा सौरभ पांडेय ने

पारस के अनुसार सौरभ ने एनडीए की ओर से 15 सीट मिलने पर दबाव डाल कर अकेले लड़ने को कहा था. केंद्रीय मंत्री पारस को लिखे अपने पत्र में सौरभ ने कई बातें बताई हैं. उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि मैंने बिहार को न सिर्फ अपनी आंखों से बल्कि रामविलास पासवान की भी आंखों से देखा है. बिहार फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छिपा हुआ है.

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सौरभ पांडेय ने कहा है कि 14 अप्रैल 2020 को गांधी मैदान में प्रस्तावित रैली में रामविलास पासवान के हाथ से बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन 2020 जारी किया जाना था. बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के कारण चिराग पासवान ने कोई समझौता नहीं किया और केंद्र में मंत्री बनने की भी परवाह नहीं की. उन्होंने दावा किया है कि हमें पहली बार जो वोट मिला वह हमारी सोच पर मिला ना कि किसी के साथ गठबंधन होने के कारण.

सौरभ ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि इस बात को मानता हूं कि बिहार विधान सभा चुनाव में जो गठबंधन हुए वह मात्र खुद जीतने के लिए हुए. उन गठबंधनों के बनने से बिहार को कोई लाभ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान अक्सर मुझसे कहा करते थे कि एमपी, एमएलए हजारों होते हैं लेकिन नेता कोई-कोई होता है. मुझे खुशी है कि उनका बेटा आज नेताओं की श्रेणी में आ रहा है.

बताया- कैसे हुआ विवाद

चिराग पासवान के राजनीतिक सलाहकार सौरभ पांडेय ने अपने पत्र में ये भी बताया है कि पशुपति पारस से विवाद की शुरुआत कैसे हुई. उन्होंने लिखा है कि पशुपति पारस, कृष्णा राज को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से लड़ाना चाहते थे. वहीं से विवाद की शुरुआत हुई. NDA की ओर से 15 सीट देने की बात पारस को बताई गई थी. उन्होंने 15 सीट का प्रस्ताव अस्वीकार किया था. 

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सौरभ ने साथ ही ये भी कहा कि क्या 15 सीट पर लड़कर बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की बलि चढ़ा देनी चाहिए थी? क्या यह उचित होता? उन्होंने आगे कहा है कि चिराग पासवान अपने चाचा पारस का अपने पिता से कम सम्मान नहीं करते. उनकी माता से भी हमेशा पशुपति पारस के लिए अच्छा सुना था. पिता की मृत्यु के बाद बिल्कुल अकेले हो गए चिराग का एक भाई, दोस्त के नाते उनके लिए और बिहार के लिए मार्गदर्शन करना मेरी जिम्मेदारी थी. सौरभ ने कहा कि मजबूत प्रत्याशियों, नेता के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं और बिहार फर्स्ट सोच के कारण आशीर्वाद यात्रा सफल रही.

 

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