बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले विधानसभा परिषद के चुनावों को प्रदेश की सत्ता का सेमीफाइल माना जा रहा है. बिहार में 29 विधान परिषद की सीटें मई के पहले सप्ताह में रिक्त हो रही हैं, ऐसे में इन एमएलसी सीटों पर चुनाव होने हैं. विधान परिषद के चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और जेडीयू की जोड़ी की असल परीक्षा देखने को मिलेगी. साथ ही नीतीश सरकार के मंत्री नीरज और अशोक चौधरी के लिए भी विधान परिषद का चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा की भी प्रतिष्ठा दांव पर होगी.
बिहार में 29 विधान परिषद सीटें हो रहीं रिक्त
बिहार में विधान परिषद की कुल 75 सीटें हैं, जिनमें से 27 सीटें मई में रिक्त हो रही हैं. इसके अलावा दो सीटें विधान परिषद सदस्य के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने की वजह से खाली हुई हैं. इन 29 विधान परिषद सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव होने हैं. आठ पर प्रत्यक्ष और नौ सीटों पर परोक्ष रूप से जोर-आजमाइश होगी. नौ सीटें विधानसभा कोटे की होंगी बाकी आठ स्नातक और शिक्षक कोटे की चार-चार सीटें चुनी जानी हैं. इसके अलावा 12 सीटों पर सदस्यों को राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किए जाना है. राज्यपाल उन्हीं सदस्यों के नाम को मंजूरी देते हैं, जिन्हें राज्य सरकार भेजती है.
9 MLC सीटों में विधायकों के आधार पर होगा चुनाव
विधानसभा कोटे की सीटों के लिए पक्ष-प्रतिपक्ष के विधायकों की संख्या से सबकुछ साफ हो जाएगा. 9 सीटें विधानसभा सदस्यों की संख्या के आधार पर चुनी जानी है. ऐसे में एक विधान परिषद के लिए 27 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. इस तरह से तीन आरजेडी और एक कांग्रेस के सदस्य चुना जाना तय है. इसके अलावा तीन सीटें जेडीयू और दो सीटें बीजेपी के खाते में जा सकती है. हालांकि स्नातक और शिक्षक कोटे की सीटों के लिए प्रत्यक्ष चुनाव होने हैं. ऐसे में एनडीए और महागठबंधन खेमों को मैदान में उतरना होगा और अपनी राजनीतिक ताकत दिखानी पड़ेगी. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले विधान परिषद के चुनाव को सेमीफाइनल माना जा रहा है. बिहार में दोनों प्रमुख गठबंधनों की ओर से सियासी बिसात बिछाई जाने लागी है.
इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा होगी दांव पर
बिहार के नीतीश सरकार के दो मंत्री चुनावी मैदान में होंगे. इनमें से एक सूचना जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार और दूसरे भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी हैं. नीरज स्नातक कोटे से विधान परिषद सदस्य हैं तो अशोक चौधरी विधायक कोटे से एमएलसी चुनाकर आए थे. विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारुण रसीद भी विधायक कोटे से एमएलसी चुनकर आए हैं. इसके अलावा हीरा प्रसाद बिंद, पीके शाही, सतीश कुमार, सोनेलाल मेहता, कृष्ण कुमार सिंह, राधामोहन शर्मा और संजय प्रकाश के कार्यकाल मई के पहले सप्ताह में पूरे हो रहे हैं.
राज्यपाल द्वारा मनोनीत 12 सीटों पर भी चयन होने हैं. इनमें से राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और पशुपति कुमार पारस के लोकसभा सदस्य चुन लिए जाने के कारण दो सीटें पहले से रिक्त हो गई है. इसके अलावा 10 सीटें और भी रिक्त हो रही हैं. मनोनयन कोटे से जावेद इकबाल अंसारी, ललन कुमार सर्राफ, रामचंद्र भारती, राम लखन, राम रमण, राम बचन राय, राणा गंगेश्वर सिंह, रणवीर नंदन, संजय कुमार सिंह, शिव प्रसन्न यादव और विजय कुमार मिश्र हैं.
स्नातक और शिक्षक कोटे से ये सीटें हो रहीं रिक्त
स्नातक और शिक्षक कोटे की विधान परिषद सीटों पर चुनाव के लिए प्रक्रिया जारी है. पटना, दरभंगा और तिरहुत में दोनों कोटे के चुनाव होने हैं. कोसी में सिर्फ स्नातक कोटे का चुनाव होगा. शिक्षक कोटे से केदारनाथ पांडेय (सारण), मदन मोहन झा (दरभंगा), संजय कुमार सिंह, (तिरहुत) और प्रो. नवल किशोर यादव (पटना) सीट पर परीक्षा से गुजरना होगा. इसी तरह स्नातक कोटे से नीरज कुमार (पटना), दिलीप कुमार चौधरी (दरभंगा), डॉ. एनके यादव (कोसी) और देवेशचंद्र ठाकुर (तिरहुत) को अपनी ताकत दिखानी होगी.
कुबूल अहमद