जिस पीड़ित परिवार से किसी कोरोना मरीज की डेथ हुई हो, उन्हें ही अपने मरीज का शव पैक भी करना पड़ रहा है, बिहार, बेतिया के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल से हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई हैं. जहां एक लड़की कोरोना से मृत अपने पिता का शव खुद ही पैक करते नज़र आई. जानकारी के मुताबिक़ मंशा टोला के रहने वाले पेशे से ड्राइवर 55 वर्षीय फखरू जमा की मौत कोरोना संक्रमण से हो गई. मौत के बाद जब अस्पताल में किसी भी कर्मचारी ने शव को नहीं छुआ तो बेटी ने खुद अपने पिता का शव पैक किया.
जानकारी के मुताबिक पेशे से ड्राइवर मंशा टोला के रहने वाले 55 वर्षीय फखरू जमा कोरोना से पीड़ित होने के बाद कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. मंगलवार सुबह उनकी संक्रमण से मौत हो गई. अस्पताल में फखरू जमा की पत्नी, बेटी रेशमा परवीन और पुत्र मो. शिबू मौजूद थे. परिजनों का आरोप है कि मौत के कई घंटों बाद तक कोविड प्रोटोकॉल के तहत मृतक का शव पैक नहीं किया गया. लगभग छह घंटे तक इंतजार के बाद भी जब पिता का शव पैक नहीं किया गया तो रेशमा परवीन ने कंट्रोल रूम में शिकायत की. जहां से उन्हें PPE किट और शव पैक करने वाला बैग दिया गया और रेशमा ने अपने भाई मो. शिबू के साथ मिलकर पिता के शव को बैग में पैक किया. इतना ही नहीं, आरोप है कि इसके बाद भाई बहन ने खुद डेडबॉडी को स्ट्रेचर पर रखकर नीचे लाया और एम्बुलेंस में रखा.
हालांकि इस बाबत जब अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रमोद तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने दावा किया कि सब कुछ कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया था. बॉडी की पैकिंग और एंबुलेंस में रखने तक का सारा काम अस्पताल के कर्मियों ने ही किया था. चूंकि कई परिजन शव के साथ रहना चाहते हैं, इसलिए हम मानवीय आधार पर उन्हें भी PPE किट दे देते है. सुपरिटेंडेंट ने लड़की के दावों को सिरे से नकार तो दिया, लेकिन ये नहीं बता पाए कि अगर ये सच है तो आख़िर लड़की झूठ क्यों बोलेगी?
एंबुलेंस में से शव को पैक करती बेटी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सुबह पांच बजे से पिता का शव रखा हुआ है. बार बार कहने के बाद भी शव को पैक नहीं किया गया, हार कर कंट्रोल रूम पर कॉल किया, तब वहां से PPE किट मिली और खुद ही डेड बॉडी को पैक करना पड़ा.
उत्कर्ष कुमार सिंह