बिहार में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 10,174 नए मामले सामने आए हैं, इसके साथ ही प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1,05,103 हो गई है. वहीं पिछले 24 घंटों में 75 लोगों की मौत हुई है. इसके साथ ही मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 3357 हो गई है. पिछले 24 घंटे में कुल 1,00,112 सैम्पल की जांच भी हुई है, जबकि कुल 4,93,189 मरीज ठीक हुए हैं. बिहार में कोरोना मरीजों का रिकवरी प्रतिशत 81.97 है.
बिहार में लॉकडाउन हुए 6 दिन हो गए हैं. इस बीच कोरोना संक्रमण की रफ्तार करीब 5 फीसदी कम हुई है. इससे लगता है कि अगर लॉकडाउन पहले लगाया जाता तो संक्रमण इतना नहीं फैलता और सरकार की इतनी फजीहत नहीं होती.
10 मई को 10174 नए मामले सामने आए हैं जबकि 10 मई को ही कोरोना से ठीक हुए मरीजों की संख्या 15800 है. बिहार में 5 मई से लॉकडाउन है. 5 मई को कोरोना की संक्रमण दर 15.58 प्रतिशत थी जो अब घट कर 9 मई को 10.31 प्रतिशत हो गई है. यह 20 अप्रैल के बाद सबसे कम संक्रमण दर है. 20 अप्रैल को राज्य में कोरोना की संक्रमण दर 9.58% थी.
बिहार में सबसे ज्यादा संक्रमण दर 30 अप्रैल को 16.15 प्रतिशत थी. यानी 100 लोगों के टेस्ट में 16 लोग संक्रमित पाए जा रहे थे. पिछले 4 दिनों की बात करें तो जितने कोरोना पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं उससे ज्यादा मरीज कोरोना को हरा कर स्वस्थ हो रहे हैं.
7 मई को 13466 कोरोना के नए मरीज मिले तो उसी दिन 13489 लोग स्वस्थ भी हुए हैं. 8 मई को 12948 नए मरीज मिले तो ठीक होने वालों की संख्या 14962 रही. इसी तरह 9 मई को 11259 लोग बीमार हुए तो ठीक भी 13364 लोग हुए.
संक्रमण दर कम होने की वजह लॉकडाउन बताया जा रहा है. हालांकि प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव इन आकड़ो को सही नहीं बताते हैं. उनका कहना है कि आकड़ो में हेरफेर किया जा रहा है. वैसे भी बिहार सरकार के आंकड़े ज्यादातर शहरी क्षेत्रों के होते हैं. अब संक्रमण गांवो में वहां तक फैल चुका है जहां टेस्ट पहुंचा नहीं या गांवो में इतने टेस्ट किट भी नही पहुंच पा रहे हैं.
लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. गांवों के हालात खराब हो रहे हैं. लगभग सभी गांवों में लोगों को सर्दी जुकाम और बुखार की शिकायत है. गांवों में अगर सघन जांच हो तो आंकड़े कुछ और हो सकते हैं. गांवों में जो मौतें हो रही हैं वो सरकारी आंकड़ों में शायद ही जुटता होगा. फिलहाल ये आंकड़े थोड़े सुकून जरूर दे रहे हैं लेकिन निश्चितता बिल्कुल भी नहीं है.
सुजीत झा