आईआईटी के 50 पूर्व छात्रों ने बहुजन आजाद पार्टी के नाम से एक राजनीतिक दल बनाया है, जिसका मुख्य उद्देश्य पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनका हक दिलाना है. आईआईटी के पूर्व छात्रों ने राजनीतिक दल बनाने के तुरंत बाद यह मांग भी उठा दी है कि पिछड़ों और दलितों को अब तक 49% मिलने वाले आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 85% करना चाहिए.
आबादी के हिसाब से आरक्षण
आजतक से बातचीत करते हुए इन पूर्व छात्रों ने कहा कि देश में जिसकी जितनी आबादी हो उसको उसी के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए. बहुजन आजाद पार्टी के एक सदस्य विक्रांत ने कहा कि इस देश में 85 फीसदी पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग हैं, मगर इसके बावजूद भी 15% सवर्ण जाति के लिए समाज में ज्यादा विकल्प है.
आईआईटी दिल्ली से 2013 में पास विक्रांत ने मांग की है कि न्यायपालिका हो, सरकारी नौकरी में प्रमोशन या फिर निजी क्षेत्र में नौकरी, हर जगह आरक्षण होना चाहिए ताकि पिछले कई वर्षों से हाशिए पर रहने वाले दलितों और पिछड़ों को मुख्यधारा में जोड़ा जा सके.
आईआईटी के पूर्व छात्रों ने यह भी ऐलान किया कि राजनीतिक दल बनाने के बाद अब उनकी निगाहें बिहार में होने वाले 2020 विधानसभा चुनाव पर है. इन पूर्व आईआईटी छात्रों ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी बिहार में 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी.
आईआईटी के इन पूर्व छात्रों ने बहुजन समाजवादी पार्टी की नेता मायावती और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान पर भी जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इन लोगों ने दलितों के नाम पर केवल राजनीति की है. पूर्व छात्रों ने कहा कि दलित होने के बावजूद मायावती और रामविलास पासवान ने सत्ता में रहते हुए भी दलितों के लिए कुछ नहीं किया.
जावेद अख़्तर / रोहित कुमार सिंह